Divorce in Hindi – Divorce Meaning in Hindi – तलाक क्या है?
शादी के बंधन को तोड़ना या विवाह-विच्छेद को तलाक (Divorce in Hindi) कहते है। हमारे देश में तलाक लेना आसान नहीं है, हमारे देश में शादी को एक बहुत ही पवित्र बंधन माना जाता है, इस बंधन को तोड़ना बहुत ही कठिन है। अगर पति या पत्नी में से कोई एक साथी तलाक नहीं चाहता हो तब बहुत ही मुश्किल हो जाता है। क्योंकि ये परिक्रिया लम्बी चलती है। आज में आपको बताता हु की तलाक कितने प्रकार के होते है, ओर तलाक लेने में क्या क्या परेशानी आती है ओर इनको कैसे फेस करके तलाक लिया जा सकता है। ये सारी जानकारी में आपको विस्तार से दूंगा।
Divorce Process in India 2023- भारत में तलाक की प्रक्रिया
इंडिया में तलाक लेने के दो प्रक्रिया है। पहली प्रक्रिया वो है जिसमे पति पत्नी आपसी सहमति से कोर्ट में तलाक लेते है। इसको हम Mutual Divorce कहते है। ओर दूसरी प्रक्रिया वो है जिसमे पति या पत्नी में से कोई एक तलाक (Divorce in Hindi) लेना नहीं चाहता दूसरा तलाक लेना चाहता है। इसको हम Contested Divorce कहते है। अब बात करते है इन दोनों प्रक्रिया में कोन सी प्रक्रिया आसान है तो इनमे से आपसी सहमति से तलाक लेना आसान है अगर पति पत्नी दोनों सहमत है। फिर आसानी से तलाक हो जाता है। लेकिन दूसरी प्रक्रिया बहुत ही जटिल है इसमें आपको कोर्ट में लड़ कर तलाक लेना होता है। इसमें टाइम ओर पैसा काफी लगता है पैसो को छोड़िए किन्तु आज के टाइम में सम्हे की बहुत कीमत है मैं आगे इसके बारे में भी बातयूंगा की कैसे लम्बे चलते आ रहे केस को जल्दी खतम किया जाये।
आपसी सहमति से तलाक कैसे ले ? (Mutual Divorce Process)
मैंने आपको ऊपर ही बताया है की हमारे यंहा कोर्ट में आपसी सहमति (Mutual Divorce Process) से तलाक लेना बहुत ही आसान है। आपसी सहमति से तलाक (Divorce in Hindi) लेने की कार्यवाही में दो बार कोर्ट में उपस्तित होना होता हैं। दोनों पक्षों द्वारा एक संयुक्त याचिका संबंधित फॅमिली कोर्ट में दायर की जाती है। इस याचिका में हम तलाक क्यों चाहते है ये सब लिखा जाता है जैसे की हमारे बीच इतने मदभेद हो गए है की अब हम एक साथ नहीं रहे सकते ओर अब हम तलाक लेना चाहते है, इस प्रकार के कुछ कारण मेंशन किये जाते है इस बयान में सम्पति, अगर बच्चे है तो वो किसके साथ रहेंगे ये सब बाते समझौते में लिखी जाती है।
पहली उपस्थिति में पति पत्नी के बयान दर्ज किए जाते हैं ओर माननीय न्यायालय के समक्ष पेपर पर दोनों पक्ष के सिग्नेचर किये जाते है इसके बाद माननीय न्यायालय दवारा 6 महीने की अवधि दी जाती है, क्योंकि न्यायालय भी नहीं चाहता की शादी के पवित्र बंधन को तोडा जाये इसलिए वो 6 महीने का टाइम दे देते है जिससे की इनकी आपस में सुल्हे हो जाये ओर तलाक लेने से बच जाये। फिर 6 महीने की अवधि के बाद भी पति पत्नी एक साथ रहने को तयार नहीं है, तो माननीय न्यायालय तलाक (Divorce in Hindi) की डिक्री पास करता है।
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक फैसले में स्पष्ट रूप से कहा है की 6 महीने की अवधि अनिवार्य नहीं है जब पति पत्नी अब एक साथ नहीं रहना चाहते और अपनी इच्छा से तलाक चाहते है तो अदालत के विवेकाधिकार के आधार पर अवधि में छूट दी जा सकती है।
Contested Divorce Process – एकतरफा तलाक की प्रक्रिया
पति या पत्नी में से कोई एक तलाक लेना नहीं चाहता दूसरा तलाक लेना चाहता है। इसको हम Contested Divorce कहते है। अब इसमें परेशानी क्या आती है उस पर थोड़ा डिसकस कर लेते है। जब पति या पत्नी में से कोई एक तलाक नहीं चाहता तो जिसको तलाक लेना है वो दूसरे पक्ष पर केस करेगा केस किस आधार पर करना है वो में आपको निचे बातयूंगा क्योंकि Contested Divorce लेने के लिए कुछ आधार होते है। लेकिन केस करने से कुछ नहीं होगा उसको कोर्ट में साबित करना होगा जिस आधार पर आप केस लड़ रहे है उन आधारों को आप को साबित करना होगा तभी आपको तलाक मिलेगा।
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Grounds for Divorce – तलाक का आधार
- व्यभिचार: अगर पति या पत्नी में से कोई भी एक व्यक्ति दूसरे को धोखा दे रहा है किसी अन्य व्यक्ति के साथ शारीरिक संबंध बना रहा है।
- क्रूरता: पति पत्नी के बीच दो तरहे की हिंसा होती है पहली शारीरिक और दूसरी मानसिक इन दोनों में से कोई भी एक या दोनों होती है ये भी तलाक का एक आधार है।
- परित्याग: अगर पति पत्नी 2 साल से अलग रह रहे है ये भी तलाक का एक आधार है।
- धर्मान्तरण: अगर पति पत्नी में से कोई भी अपने आप को किसी अन्य धर्म में धर्मान्तरित किया है, यानि के धर्म परिवर्तन कर लिया है ये भी तलाक का एक आधार है।
- गंभीर शारीरिक या मानसिक रोग : अगर पति पत्नी में से कोई भी गंभीर शारीरिक रोग मसलन एड्स, कुष्ठ रोग जैसी कोई भयंकर बीमारी है ये भी तलाक का एक आधार है।
- संन्यास: अगर पति पत्नी में से किसी ने भी संन्यास ले लिया, ये भी तलाक का एक आधार है।
- गुमशुदगी: अगर पति पत्नी में से कोई भी 7 साल से लापता है ओर दूसरे पार्टनर को ये भी नहीं पता है की वो ज़िंदा है भी या नहीं ओर उस व्यक्ति को किसी ने 7 साल से देखा भी नहीं, ये भी तलाक का एक आधार है।
- नपुंसकता: अगर पति नपुंसक है तो ये भी तलाक का एक आधार है। ओर पत्नी बच्चा पैदा नहीं कर सकती ये ये भी तलाक का एक आधार है।
- सहवास की बहाली: अगर पति पत्नी में से कोई भी सहवास नहीं करने देता है तो ये भी तलाक का एक आधार है।
आज के सम्हे में सुप्रीम कोर्ट के काफी जजमेंट आये है जो ऊपर के आधारों से भी अलग आधारों को बना कर जजमेंट दिए है इसलिए तलाक लेने के ओर भी आधार हो सकते है।
कुछ आधार पत्नी को अलग दिए गए है जिस पर याचिका केवल पत्नी की ओर से दायर की जा सकती हैं:
- अगर पति बलात्कार या पाशविकता में लिप्त है तो।
- अगर पत्नी की शादी अठारह साल से पहले जबरदस्ती कर दी हो।
पति या पत्नी कैसे जीते (How to Win Divorce Case)
सबसे पहले आपको ये सुनिश्चित करना होता है की किस आधार पर तलाक (Divorce in Hindi) लेना है जो भी आधार आपके केस में फिट होता है वो आधार लें आधार एक से भी ज्यादा ले सकते है फिर आपको उन आधारों के लिए सबुत इखट्टा करे अगर सबुत है तो उनको केस के साथ लगाए इससे आपका केस मजबूत होगा।
Divorce Paper (Sample)
तलाक नामा (Divorce Paper) में ज्यादा कुछ होता नहीं है किन्तु ये बहुत ही इम्पोर्टेन्ट पार्ट होता है इसलिए इसको साबधानी के साथ भरना चाहिए। इसमें पति पत्नी का नाम, जाति, विवहा की तारिक़ ओर कब से अलग रह रहे है ये मेंशन करना होता है। साथ में तलाक की वजहे लिखना होता है ओर समझौते में कितनी अलुमनी तय हुई है सब लिखना होता है ताकि कल के दिन कुछ प्रॉब्लम न आ जाये क्योंकि अक्सर पत्नी की तरफ से देखा जाता है की तलाक मिल जाने पर वो दोवारा अलुमनी के लिए केस फाइल कर देती है। इसलिए दोनों पक्षों के लिए सही ये ही है की तलाक (Divorce in Hindi) के सम्हे सभी बाते साफ़ साफ़ लिख देनी चाहिए।
FAQs:- (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)
सुप्रीम कोर्ट के बहुत से जजमेंट आ गए है जिसमे शादी के कुछ दिन बाद ही तलाक लिया जा सकता है। अब ऐसा कुछ नहीं रहा की शादी के बाद इतना टाइम का हमे वेट करना होगा तब हम तलाक के लिए एप्लीकेशन लगा सकते है।
सब जगहे पर वकील की फीस अलग अलग होती है। ऐसे में बता पाना की कितनी फीस होगी मुश्किल होगी क्योंकि जो जैसा वकील होगा उसकी फीस भी वैसे ही होगी। साधारणतः 10000 से 30000 ये एक साधारण फीस है
तलाक लेना का सबसे सस्ता ओर आसान तरीका आपसी सहमति से तलाक लेना है। इसमें जल्दी ओर कम पैसो में तलाक आसानी से हो जाता है।
तलाक आपसी सहमति से ले रहे हो तो मैक्सिमम 6 महीने में मिल जाता है, अगर एक पक्ष तलाक के लिए राजी नहीं है तो उसको आपको लड़ कर लेना होगा ओर इसमें बहुत समय लग जाता है इसमें टाइम लिमिट की कोई सीमा नहीं है इसके लिए आपको High Court जाना होगा टाइम बाउंड के लिए वंहा से आपको 6 महीने में केस को जजमेंट पर लाने के आर्डर मिल जायेंगे ।
अगर वकील धोखा या केस पर ध्यान नहीं दे रहा है तो आपको अपना वकील बदल लेना चाहिए। आपको इस काम में बिलकुल भी देर नहीं करनी चाहिए।
कंटेस्टेड डाइवोर्स होने के बाद पति पत्नी को दूसरी शादी करने के लिए कम से कम 3 महीने या 90 दिनों का इंतज़ार करना होगा। ये ९० दिन उस दिन से काउंट होंगे जिस दिन डाइवोर्स की डिक्री जारी की गए है।
बिना तलाक लिए पति या पत्नी में से कोई भी दूसरी शादी नहीं कर सकता है अगर बिना तलाक लिए दूसरी शादी कर ली है तो वो कानून की नजर में मान्य नहीं है।
तलाक के बाद अगर बच्चा 5 साल से छोटा है तो आमतोर पर उसकी कस्टडी मां को दी जाती है अगर बच्चा बड़ा है तो उससे पूछा जाता है की तुम किसके पास रहना चाहते हो या पति पत्नी आपस में ही समझौता हो गया है की बच्चा किसके पास रहेगा फिर उसकी कस्टडी उसी को दे दी जाती है।
पति की संपत्ति में पत्नी का अधिकार पति के मरने के बाद आता है मरने से पहले नहीं।
तलाक के मामले कोर्ट फाइल को मेडिएशन सेंटर भेजता है जिससे की मसला मध्यस्थता की सहयता से सुलझाया जा सके ओर केस न लड़ना पड़े।
तलाक याचिका में दोनों के बिच मतभेद के कारण ओर अब एक साथ नहीं सकते ये सब लिखना होता है
हाँ लड़ सकते हो लेकिन आपको कानून की समझ होनी चाहिए।
- शादी का मैरिज सर्टिफिकेट
- शादी की फोटो या अन्य कोई प्रमाण
- पहचान प्रमाण पत्र
- कोई अन्य दस्तावेज जो आप संलग्न करना चाहते हैं
- पासपोर्ट साइज़ फोटो
मुस्लिम भी तलाक ऐसे ही ले सकते है जैसे ऊपर मैंने बताया है।
मेरा नाम आशुतोष चौहान हैं, मैं कोर्ट-जजमेंट ब्लॉग वेबसाईट का Founder & Author हूँ। मैं पोस्ट ग्रेजुएट हूँ। मैं एक Professional blogger भी हूँ। मुझे लॉ से संबंदित आर्टिकल लिखना पसंद है।