आज मैं आपके लिए भारतीय दंड संहिता (IPC Section 13 in Hindi) की धारा 13 की जानकारी लेकर आया हूँ पिछली पोस्ट में हमने आपको आईपीसी (IPC) की धारा 12 क्या है? इनके बारे में बताया था। आशा करता हूँ की आपको समझ में आया होगा। अब बात करते है, भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 13 क्या होती है?
भारतीय दंड संहिता की धारा 13 क्या होती है?
“ विधि अनुकूलन आदेश, 1950 द्वारा निरसित। ”
“ Repealed by the A.O. 1950. ”
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धारा 13 क्या होती है?
ऊपर जो IPC Section 13 की डेफिनेशन दी गयी है, वो कानूनी भाषा में दी गयी है, शायद इसको समझने में परेशानी आ रही होगी। इसलिए इसको मैं थोड़ा सिंपल भाषा का प्रयोग करके समझाने की कोशिश करता हूँ। IPC Section 13 को सरल शब्दों में समझाता हूँ Indian Penal Code का जो section 13 है, इसमें यह बताया गया है, कि धारा 13 को अब हम Use नहीं करते है। क्योंकि इस धारा को 1950 में एक प्रस्ताव लाकर निरस्त कर दिया गया था। अब इसको क्यों निरस्त किया गया ये सवाल आपके मन में आ रहा होगा इसलिए मैं आपको बताता हु की इसको क्यों निरस्त किया गया। धारा 13 क्रम में होने के बावजूद यह धारा कोई मायने नहीं रखती। भारत में 15 अगस्त 1947 से पहले अंग्रेज़ों का शासन हुआ करता था। जबकि IPC 1862 में लागू हो गई थी। इसी के चलते भारतीय दंड संहिता Indian Penal Code के Section 13 में Britain की महारानी यानी क्वीन की परिभाषा Definition of Quin दी गई थी। Section 13 में महारानी का ही बखान मिलता था, लेकिन 1947 में जब भारत आज़ाद हुआ तो उसके बाद में कानून और संविधान का निर्माण शुरू हुआ 26 जनवरी 1950 को देश में नया संविधान लागू हुआ तो इसी के साथ ही IPC की दोवारा समीक्षा की गई। जब भारत आज़ाद था तो अब हमें ब्रिटिश रानी के बखान की ज़रूरत नहीं थी। लिहाजा IPC की धारा 13 को उन्नीस सौ पचास में ही एक प्रस्ताव लाकर निरस्त कर दिया गया तभी से IPC में यह धारा कोई मायने नहीं रखती।