IPC 321 in Hindi- आईपीसी धारा 321 क्या है?, सजा, जमानत और बचाव

IPC 321 in Hindi- दोस्तों, हमारे देश में लड़ाई झगड़ा एक आम बात होती है। लोग छोटी-छोटी बातों पर एक दूसरे से लड़ जाते हैं और एक दूसरे को चोट पहुंचाते हैं। कई लड़ाई झगड़े ऐसे होते हैं जिसके कारण चोट पहुंच जाती है और जिससे शारीरिक पीड़ा या दर्द महसूस होता है। कई बार लोग आपको जानबूझकर चोट पहुंचाते हैं, ऐसे में आपको बता दे कि अगर कोई व्यक्ति आपको जानबूझकर चोट पहुंचाता है तो उसके खिलाफ आप कार्रवाई करवा सकते हैं।

IPC 321 in Hindi – भारतीय दंड संहिता की धारा 321 क्या है?

भारतीय दंड संहिता की धारा 321 के तहत, “जो कोई किसी कार्य को इस आशय से करता है कि तद्द्वारा किसी व्यक्ति को उपहति कारित करे या इस ज्ञान के साथ करता है कि यह संभाव्य है कि वह तद्द्वारा किसी व्यक्ति को उपहति कारित करे और तद्द्वारा किसी व्यक्ति को उपहति कारित करता है, वह स्वेच्छया उपहति करता है, यह कहा जाता है।”

आसान भाषा में समझे तो, अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर किसी को चोट पहुंचाने के इरादे से या वह व्यक्ति जानता था कि उसके द्वारा किये गए कार्य से किसी को चोट पहुंच सकती है, तो यह एक अपराध कहलायेगा। अगर कोई व्यक्ति आपको जानबूझकर ऐसी चोट देता है जिसके कारण आपको शारीरिक पीड़ा या बीमारी का सामना करना पड़ता है तो उस व्यक्ति पर धारा 321 लागू की जा सकती है।

नोट:- इस धारा में गंभीर चोट की बात नहीं की जा रही है इसमें साधारण चोट की बात हो रही है जो आपको कुछ समय के लिए दर्द देता है इसमें बीमारी भी हो सकती है।

IPC 321 में ध्यान देने योग्य बाते-

इस धारा के तहत कार्रवाई करवाने से पहले आपको यह ध्यान देना होता है कि सामने वाले व्यक्ति के द्वारा आपको चोट दी गई हो, साथ ही आपको इस बात का भी ध्यान देना है कि यह चोट सामने वाले व्यक्ति के द्वारा जानबूझकर दी गयी हो। इसका मतलब है कि अपराधी भली भांति जानता था की ऐसा करने से सामने वाले व्यक्ति को चोट आएगी।

FAQs-

IPC 321 का मतलब क्या होता है?

उत्तर: अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर किसी दूसरे व्यक्ति पर उपहति कारित (स्वेच्छा से चोट पहुँचाना) करता है जिससे उस व्यक्ति को शारीरिक दर्द, पीड़ा या बीमारी का सामना करना पड़ता है तो इसे अपराध माना गया है। IPC Section 321 में साधारण या छोटी चोट को लिया जाता है, जो कि कुछ दिनों तक सामने वाले के शरीर पर रहती है।

IPC 319 और IPC 321 में क्या अंतर है?

उत्तर: IPC Section 319 में जिस चोट की बात की जाती है वही चोट की बात IPC Dhara 321 में भी होती है। लेकिन IPC 321 में चोट जानबूझकर दी जाती है। इसमें चोट देने वाले व्यक्ति का इरादा साफ होना चाहिए कि यह कार्य करने से सामने वाले को चोट पहुंच सकती है। इन दोनों धाराओं में बस इरादे का अंतर है।

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About Advocate Ashutosh Chauhan

मेरा नाम Advocate Ashutosh Chauhan हैं, मैं कोर्ट-जजमेंट (courtjudgement) वेबसाईट का Founder & Author हूँ। मुझे लॉ (Law) के क्षेत्र में 10 साल का अनुभव है। इस वेबसाईट को बनाने का मेरा मुख्य उद्देश्य आम लोगो तक कानून की जानकारी आसान भाषा में पहुँचाना है। अधिक पढ़े...