IPC Section 60 in Hindi
आज मैं आपके लिए IPC Section 60 in Hindi की जानकारी लेकर आया हूँ, पिछली पोस्ट में हमने आपको आईपीसी (IPC) की काफी सारी धाराओं के बारे में बताया है। अगर आप उनको पढ़ना चाहते हो, तो आप पिछले पोस्ट पढ़ सकते है। अगर आपने वो पोस्ट पढ़ ली है तो, आशा करता हूँ की आपको वो सभी धाराएं समझ में आई होंगी । अब बात करते है, भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 60 क्या होती है?
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 60 क्या होती है?
IPC (भारतीय दंड संहिता की धारा ) की धारा 60 के अनुसार:-दण्डादिष्ट कारावास के कतिपय मामलों में सम्पूर्ण कारावास या उसका कोई भाग कठिन या सादा हो सकेगा :- “हर मामले में, जिसमें अपराधी दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डनीय है, वह न्यायालय, जो ऐसे अपराधी को दण्डादेश देगा, सक्षम होगा कि दण्डादेश में यह निर्दिष्ट करे कि ऐसा सम्पूर्ण कारावास कठिन होगा, या यह कि ऐसा सम्पूर्ण कारावास सादा होगा, या यह कि ऐसे कारावास का कुछ भाग कठिन होगा और शेष सादा।”
As per section 60 of IPC (Indian Penal Code) :-Sentence may be (in certain cases of imprisonment) wholly or partly rigorous or simple :- “In every case in which an offender is punishable with imprisonment which may be of either description, it shall be competent to the Court which sentences such offender to direct in the sentence that such imprisonment shall be wholly rigorous, or that such imprisonment shall be wholly simple, or that any part of such imprisonment shall be rigorous and the rest simple”
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धारा 60 क्या है?
ऊपर जो IPC Section 60 की डेफिनेशन दी गयी है, वो कानूनी भाषा में दी गयी है, शायद इसको समझने में परेशानी आ रही होगी। इसलिए इसको मैं थोड़ा सिंपल भाषा का प्रयोग करके समझाने की कोशिश करता हूँ। IPC Section 60 को सरल शब्दों में समझाता हूँ।
IPC Section 60 में बताया गया है, की कारावास की सज़ा कठोर होगी या सरल । पहले बात करते है, कठोर कारावास कि, किसी कैदी को जितनी सज़ा मिलेगी। उसमें उसको कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी। उसमें उसको जेल में काम करना पड़ेगा। अब बात करते है, सरल (साधारण ) कारावास कि, ऐसे कैदी जिनको सरल (साधारण ) कारावास की सज़ा हुई है, उनको जेल के अंदर काम नहीं करना पड़ेगा। वह सरल (साधारण ) कारावास होती है। कोर्ट के पास यह भी पावर होती है, कि कैदी को जितनी सज़ा सुनाई उसमें कुछ पार्ट को कठोर कर सकती है। और कुछ पार्ट को वह सरल भी कर सकती है। इसको उदहारण देकर समझाता हूँ।
मान के चलिए, अगर कोर्ट ने किसी व्यक्ति को तीन साल तक की सजा सुनाई। कोर्ट के पास यह पावर है, कि वो कह सकते हैं, कि आपको तीन साल की कठोर कारावास की सज़ा दी जाती है, कि तीन साल आपको जेल के अंदर कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी। और अगर कोर्ट उसी व्यक्ति को तीन साल की सरल (साधारण ) कारावास की सज़ा सुनाती है, तब उस व्यक्ति को जेल में काम नहीं करना पड़ेगा। लेकिन तीसरा ऑप्शन भी कोर्ट के पास है। जैसा कि उस व्यक्ति को तीन साल तक की सज़ा सुनाई गयी। जिसमें एक साल की सज़ा कठोर कारावास और बाकी की बची हुई सज़ा सरल (साधारण ) कारावास की दी गयी। मतलब एक साल कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी, काम करना पड़ेगा। और बाकी के दो साल की सज़ा में कोई काम नहीं करना पड़ेगा। IPC Section 60 यही बताता है।
निष्कर्ष:
मैंने IPC Section 60 in Hindi को सिंपल तरीके से समझाने की कोशिश की है। मेरी ये ही कोशिश है, की जो पुलिस की तैयारी या लॉ के स्टूडेंट है, उनको IPC की जानकारी होनी बहुत जरुरी है। ओर आम आदमी को भी कानून की जानकारी होना बहुत जरुरी है।
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मेरा नाम आशुतोष चौहान हैं, मैं कोर्ट-जजमेंट ब्लॉग वेबसाईट का Founder & Author हूँ। मैं पोस्ट ग्रेजुएट हूँ। मैं एक Professional blogger भी हूँ। मुझे लॉ से संबंदित आर्टिकल लिखना पसंद है।