Labour Law in Hindi- श्रम कानून क्या है?- आसान भाषा में समझे

दोस्तों, आज हम Labour Law in Hindi पर बात करने जा रहे है, जोकी मजदूरों के लिए कानून है। अब आप समझेंगे कि Labour Law जो है, वो सिर्फ मज़दूरों के लिए होगा। लेकिन मैं आपको बता दूं कि यह Labour Law सभी लोगो पर लागू होता है, चाहे कोई किसी Factory में काम कर रहा है या किसी Company में काम कर रहा है। कोई कहीं Salary पर काम कर रहा है, कोई कहीं मजदूरी पर काम कर रहा है, किसी भी प्रकार का कोई काम कर रहा है, उन सभी पे Labour Law लागू होता है।

Labour Law in Hindi
Labour Law in Hindi

Labour Law को बनाने का मकसद ये था ताकि कोई कामगार का हक ना मारा जाए और समय से ज़्यादा उससे काम ना कराया जाए। उससे जबरदस्ती काम ना कराया जाए। सप्ताह में उसे एक छुट्टी का प्रावधान किया जाये। उसका Overtime का क्या नियम है? सारा चीज़ इसमें बताया गया है। इसके अलावा यह भी है, कि आपका पैसा अगर समय पर नहीं मिल रहा है, जहां पर आप काम कर रहे है, चाहे आप Factory में काम कर रहे है, किसी Company में काम कर रहे है, किसी के खेत में काम कर रहे है। कहीं भी आप काम कर रहे है, हर जगह Labour Law लागू होता है। अगर आपका समय से कंपनी से पैसा नहीं मिल रहा है या आपके साथ काम करते समय कोई घटना हो गयी और कंपनी सही जगह पर सही समय पर इलाज नहीं करा रही है, आपको ऐसे ही छोड़ दे रही है? बहुत सारे कानून है, सभी पर हम चर्चा करेंगे।

Labour Law क्या है?

आप कहीं पर भी काम कर रहे हैं, और आपको किसी भी तरह की परेशानी है। परेशानी में क्या क्या हो सकता है? मैं आपको बता दे रहा हूं जैसा कि आठ घंटे की ड्यूटी होती है, अगर उससे ज़्यादा आपसे काम कराया जाता है, तो आपको ओवरटाइम की सैलरी मिलेगी। इसके अलावा जंहा आप काम कर रहे है, वहां पर आपके साथ कोई हादसा हो जाता है। वहां पर आपके साथ कोई दुर्घटना हो जाती है, तो फिर उसके इलाज कराने की ज़िम्मेदारी Company मालिक, Factory मालिक की होती है। क्योंकि आप उसका काम कर रहे है, और उसी की साइट पर आपके साथ हादसा हुआ है, तो इलाज कराने की ज़िम्मेदारी भी मालिक की है। और जब तक आपका इलाज चलता है, तब तक आपकी सैलरी भी नहीं रोकी जा सकती है।

कभी कभी ऐसा भी होता है, की आप कोई एग्रीमेंट करके ठेके पर कोई काम ले लेते हैं। आपसे काम करा लिया लेकिन घाटा बताकर, नुक्सान बताकर या फिर किसी प्रकार का बहाना बताकर बहुत सारे लोगो का पैसा रोक लेते हैं। आप देखते होंगे ठेकेदार जो है, बहुत सारे मजदूरों का पैसा रोक लेता है, कामगार का पैसा रोक लेता है। बोलता है मुझे ऊपर से पैसा नहीं मिला है, या आपसे काम अच्छा नहीं हुआ है या फिर आपके काम में कोई Default निकालकर आपको वहां से निकाल दिया जाता है। और आपको पैसे नहीं देते हैं तो उस परिस्थिति में आप श्रम आयोग (Labour Commission) में कम्प्लेन कर सकते है। वहाँ आपको तीस दिन का समय दिया जाता है। मतलब तीस दिन के अंदर में दोनों पार्टी को बुलाया जाता है और वहां पर दोनों पार्टी से सवाल किया जाता है। और दोनों की सहमति से आपकी रिकवरी कराई जाती है।

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अगर श्रम आयोग (Labour Commission) में आपकी बात नहीं बनती है, तो श्रम आयोग (Labour Commission) से आपके केस को Labour Court भेज दिया जाता है। Labour Court में दोनों पार्टी को बुलाया जाता है। वंहा पर सबूत और गवाहों के आधार पर आपकी रिकवरी कराई जाती है।

Labour Court का क्या नियम है?

Labour Court को नब्बे दिन के अंदर केस का निपटारा करना होता है। मालिक और नौकर के बीच का मामला जिसका Labour Court को नब्बे दिन के अंदर निपटारा करना होता है। लेकिन ऐसा हो नहीं पाता है, क्योंकि बहुत सारे केसेस पेंडिंग पड़े हुए हैं। आपको हिम्मत रखनी होगी थोड़ा समय भी देना होता है। मतलब आपके मामले को लगभग एक साल से दो साल भी लग सकते है। यह मत सोचो कि नब्बे दिन का नियम है, तो नब्बे दिन में ही आपका मामला क्लियर हो जाएगा। आपको धर्ये रखना है।

कंप्लेंट कैसे करें?

आप खुद कंप्लेंट लिख के श्रम आयोग (Labour Commission) में दे सकते हैं। जो आपके साथ घटना हुई है, जैसे आपका पैसा फंसा हुआ है, मालिक पैसा नहीं दे रहा है, या आपके साथ काम करते समय कोई घटना हो गयी है आपको मुआवज़ा नहीं दिया जा रहा है। जैसे आप किसी के लिए काम कर रहे हैं और वंहा पर सुरक्षा की व्यवस्था नहीं है, आप गिर गए, आपका पैर टूट गया, हाथ टूट गया आप घायल हो गए आपका काम भी बंद हो रहा है पैसे भी लग रहा है। फैक्ट्री मालिक, कंपनी मालिक, कंस्ट्रक्शन का मालिक आपका इलाज कराएगा और आपकी उस पीरियड की सैलरी भी चालू रहेगी। जब तक कि आप ठीक नहीं हो जाते।

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जब आप श्रम आयोग (Labour Commission) जाएंगे तो आपके पास प्रूफ होना चाहिए। आपको पैसा नहीं मिला इस चीज़ का प्रूफ होना चाहिए। आपके पास गवाह होने चाहिए। मैं आपको बता दूं कि Labour Court लास्ट में जाना चाहिए। जब आपकी समझौता से बात नहीं बने तब Labour Court जाए। मैं सलाह दे दे रहा हूं कि छोटे छोटे मामले पर आप श्रम आयोग (Labour Commission) चले जाएं। अगर आपके साथ और भी लोग है जिनके पैसे भी कंपनी ने नहीं दिए तो आप उन लोगो को साथ में लेकर जा सकते हैं। सभी लोग जाएंगे तो और ज़्यादा प्रभाव पड़ेगा। सभी लोग मिलकर आवेदन करेंगे तो जल्दी सुनवाई होगी। लेकिन व्यक्तिगत तौर पर किसी एक व्यक्ति के साथ यह समस्या है, तो उसको बहुत टाइम लग जाता है, बहुत ज़्यादा परेशानी उठानी पड़ सकती है, बहुत ज़्यादा भाग दौड़ करनी पड़ सकती है। इसलिए कोशिश करें कि जो भी समझौता करके आपको मिल रहा है आप ले लीजिए अगर आपको उन्नीस बीस करके मिल रहा है तो कोई दिक्कत नहीं है।

अगर आप थोड़ी बहुत जानकारी रखते है, तो आप खुद से भी अपनी बात रख सकते हैं। लेकिन आपको झिझक है, डर लग रहा है या समझ में नहीं आ रहा है। तो ऐसे में आप किसी वकील को ज़रूर Hire कर ले। वह वकील अपने हिसाब से आपको सही राय भी देगा और सही से आपका केस भी लड़ेगा। यह ज़रूरी नहीं कि आपके पक्ष में ही फ़ैसला आएगा। कभी कभी क्या होता है, कि जो फैक्ट्री मालिक है उनके भी कुछ अधिकार होते है। आप उसको फॉलो नहीं कर रहे हैं। जो मालिक ने Term & Condition आपको बताया है या फिर आपसे एग्रीमेंट कराया है। आप उसको फॉलो नहीं करते हैं जबरदस्ती उनके ऊपर गलत आरोप लगा रहे। तो उनके पक्ष में भी फ़ैसला आ सकता है। वह भी अपनी सफाई रखेंगे वह भी आपसे लड़ेंगे। तो ऐसे में केस बहुत लंबा चलेगा और इसमें आप परेशान हो जाएंगे।

प्रूफ क्या क्या होने चाहिए?

मैं आपको कुछ प्रूफ बता रहा हूँ जोकि आपके केस में बहुत काम आएंगे।

  1. मज़दूर कार्ड या लेबर कार्ड
  2. फक्ट्री या कंपनी में आने जाने की एंट्री
  3. सैलरी स्लिप
  4. बैंक स्टेटमेंट
  5. EPF
  6. जोइनिंग लेटर
  7. एग्रीमेंट
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इनमे से कुछ न कुछ आपको मिला होगा यह सब प्रूफ में आता है। इनमे से कुछ भी प्रूफ आप अपने केस में लगा सकते है। अगर आप अपनी जगह सही है तो आपको क्लेम मिलेगा ही मिलेगा। आपके पक्ष में सुनवाई होगी क्योंकि Labour Court या श्रम आयोग (Labour Commission) ज़्यादातर लेबर की ही सुनते है। अगर आपका बहुत ज़्यादा फाल्ट रहेगा तब जाकर मालिक की सुनवाई होगी। आपको प्रूफ रखना चाहिए।

बहुत ज़्यादा लोग बाहर कमाने जाते हैं जैसे बिहार के, UP के, झारखंड के, उड़ीसा के, पश्चिम बंगाल के लोग हैं। वह बाहर कमाने जाते हैं चाहे फैक्ट्री वर्कर के तौर पर या कंपनी वर्कर के तौर पर तो वहां का कुछ ना कुछ सबूत आपके पास होना चाहिए। आप जैसे वहां पर रिज्यूमे देते हैं, ID देते हैं या फिर किसी प्रकार का डाक्यूमेंट्स देते हैं तो उसके बदले कुछ ना कुछ आपको रिसीविंग ज़रूर मिलता है।

श्रम कानून FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)

उत्तर:- श्रम कानून उन कानूनों का संग्रह है जो कामकाजी लोगों की सुरक्षा, उनके अधिकार और कर्तव्यों को संरचित करने का प्रणाली होता है।

उत्तर:- श्रम कानून समाज में कामकाजी लोगों की सुरक्षा, समर्थन और न्याय की सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह कामकाजी लोगों के अधिकारों का पालन करने में मदद करता है।

उत्तर:- हां, विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग श्रम कानून होते हैं जो उस क्षेत्र के विशेष आवश्यकताओं और परिप्रेक्ष्य में तैयार किए जाते हैं।

उत्तर:- श्रम कानून में मुख्य विषयों में शामिल होते हैं – कामकाजी लोगों के अधिकार, वेतन, काम की शर्तें, कामकाजी सुरक्षा, उनके न्यायिक अधिकार और कानूनी उपाय।

उत्तर:- हां, श्रम कानून के अंतर्गत कामकाजी लोगों के अधिकारों का उल्लंघन आता है और ऐसे मामलों में उन्हें कानूनी सहायता प्राप्त करनी चाहिए।

उत्तर:- हां, कुछ श्रम कानूनों में कामकाजी लोगों के लिए वेतन स्थिरति का प्रावधान होता है जो उनके वेतन में न्यायिक वृद्धि की सुनिश्चिति करता है।

निष्कर्ष: Labour Law in Hindi

मैंने Labour Law को आसान भाषा में समझाने की कोशिश की है। अगर आपका Labour Law से रिलेटेड कोई प्रश्न है तो आप मुझे निसंकोष कमेंट कर सकते है।

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