Suman vs tarun Domestic Violence Judgement

प्रार्थिया श्रीमती सुमन बाला की ओर से विरूद्ध विपक्षी अंतर्गत धारा-१२ घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम के तहत संरक्षण दिलाये जाने हेतु तथा भरण-पोषण के सम्बन्ध में अनुतोष प्राप्त करने हेतु यह प्रार्थना-पत्र प्रस्तुत किया गया है।

संक्षेप में प्रार्थना-पत्र का कथानक इस प्रकार है कि प्रार्थिया का विवाह विपक्षी के साथ दिनांक २५-०४-२०१२ को हुआ था जिसमें प्रार्थिया के पिता ने अपनी हैसियत से अधिक बीस लाख रूपये खर्च किये थे व एक आई-१० कार नंबर यू पी. १४ बी.आर. ०४२६ प्रतिवादी को दी थी। शादी के उपरान्त विपक्षीगण शादी में दिये गये दान दहेज से संतुष्ट नहीं थे और शादी में कम दहेज देने का ताना देने लगे और विपक्षीगण पांच लाख रूपये अतिरिक्त दहेज की मांग करते हुए कहने लगे कि तू अपने बाप से पांच लाख रूपये लेकर आ, नहीं तो तुझे नहीं रखेंगे। बारबार समझाने बाबजूद भी विपक्षी अपनी मांग पर अडे रहे।

विपक्षी के द्वारा प्रार्थिया के मर्जी के बिना उसका अप्राकृतिक यौन उत्पीड़न किया गया। प्रार्थिया द्वारा अपने माता पिता को उक्त बाते बतायी गयीं। बारबार समझाने के बाबजूद भी विपक्षी अपनी मांग पर अडे रहे। गर्भावस्‍था के दौरान विपक्षी व उसकी मां ने प्रार्थिया के साथ मारपीट की और जनवरी-२०१३ में प्रार्थिया को गर्भावस्‍था में ही मारपीट कर घर से निकाल दिया। दिनांक ०४.०२.२०१३ को यशोदा हास्पीटल में प्रार्थिया को एक पुत्र पैदा हुआ जिसका सारा खर्चा वादिया के पिता व भाई द्वारा किया गया परन्तु विपक्षीगण के द्वारा कोई देखभाल नहीं की गई और ना ही वे आये।

प्रार्थिया के पिता द्वारा निवेदन करने पर विपक्षीगण प्रार्थिया को ले गये। दिनांक १४.०७.२०१३ को विपक्षीगण ने प्रार्थिया को मारा पीटा। प्रार्थिया द्वारा पुलिस को सौ नंबर पर फोन किया गया परन्तु अन्य रिश्तेदारों के कहने व अपनी गृहस्थी बचाने के लिए प्रार्थिया ने कोई कार्यवाही नहीं की। दिनांक १५.१२.२०१३ को प्रार्थिया के पति व ससुर प्रार्थिया को गांव के बाहर छोड़ कर चले गये तभी से प्रार्थिया अपने माता पिता के घर रह रही है। विपक्षी के द्वारा प्रार्थिय व उसकी पुत्र को कोई भरण-पोषण नहीं दिया गया है। प्रार्थया की इतनी आय नहीं है कि वह स्वयं का व पुत्र का भरण-पोषण कर सके। जबकि विपक्षी बतौर चिकित्सक ५५,०००/-रूपये प्रतिमाह कमाता है।

See also  Kavita vs Gourav Domestic Violence Judgement

प्रार्थिया द्वारा निम्न अनुतोष याचित किया गया है:-

  • विपक्षी को प्रार्थिया के साथ घरेलू हिंसा करने से रोके जाने के सम्बन्ध में संरक्षण आदेश पारित किया जाये।
  • विपक्षी से प्रार्थिया के लिए २०,०००/- रूपये व उसके पुत्र के लिए १०,०००/-रूपये प्रतिमाह दिलाये जायें।
  • विपक्षी को आदेशित किया जाय कि वह प्रार्थिया का समस्त स्त्री धन जो उसके कब्जे में है, वापस करे तथा प्रार्थिया के निवास हेतु मकान की व्यवस्था करे तथा प्रार्थिया को परिवाद व्यय दिलाया जाये।

what is a domestic violence

प्रार्थिया द्वारा आवेदन प्रस्तुत करने के उपरान्त विपक्षी को नोटिस प्रेषित किये गये जिसके द्वारा न्यायालय में उपस्थित होकर प्रार्थना-पत्र के विरूद्ध आपत्ति प्रस्तुत की गयी।

विपक्षी की आपत्ति निम्नवत है:-

विपक्षी के द्वारा प्रार्थिया के साथ दिनांक २५.०४.२०१२ को विवाह होने के तथ्य को स्वीकार किया है तथा पैरा-१ लगायत १४ के सभी तथ्यों को अस्वीकार किया है। अतिरिक्त कथन में विपक्षी द्वारा कथन किया गया है कि उसका प्रार्थिया के साथ विवाह साधारण तरीके से बिना दान दहेज के हुआ था और न ही किसी दान दहेज की मांग की गई थी। प्रार्थिया के पिता द्वारा दी गई आई-१० कार प्रार्थिया के नाम पर ही पंजीकृत है। विपक्षी द्वारा प्रार्थिया से कभी मारपीट नहीं की गई और न ही प्रार्थिया से किसी के द्वारा दहेज की मांग की गई। अप्राकृतिक यौन शोषण का आरोप असंगत व प्रार्थना-पत्र को रंगत देने के लिए है। इस सम्बन्ध में कोई भी मेडिकल दाखिल नहीं है। वास्तव में प्रार्थिया स्वयं विपक्षी के मातापिता के साथ रहना नहीं चाहती थी और अलग से गाजियाबाद में मकान लेकर रहना चाहती थी। विपक्षी अपने माता पिता के बुजुर्ग होने के कारण उन्हें छोड़ नहीं सकता था।

See also  Swati vs Sushobit Domestic Violence Judgement

प्रार्थिया न तो ससुराल में रहना चाहती थी और ना ही दिल्ली में तथा अपनी इसी अनुचित मांग की पूर्ति के लिए जनवरी २०१३ में बिना बताये घर छोड़ दिया था। दिनांक १५.०१.२०१३ को जब विपक्षी प्रार्थिया को लेने गया तो उसने साथ आने से मना कर दिया और प्रार्थिया के पिता व दोनो भाई धीरेन्द्र व शैलेन्द्र ने विपक्षी से मारपीट की जिनका उसी दिन रात्रि ११.४५ बजे डाक्टरी मुआइना कराया गया। दिनांक १४.०७.२०१३ को पुलिस को सौ नंबर पर सूचना दी गई वह सूचना गलत होने के कारण कोई कार्यवाही नहीं हुई थी।

दिनांक १४.०७.२०१३ को प्रार्थिया अपने मायके चली गई थी तथा बाद में लौट कर कभी नहीं आयी। अतः १४.१२.२०१३ की घटना गलत है। प्रार्थिया भारतीय स्टेटबैंक राजनगर शाखा में वरिष्ठ सहायक के पद पर कार्यरत है अतः स्वयं व पुत्र का भरणपोषण करने में सक्षम है। प्रार्थिया के द्वारा उक्त प्रार्थना-पत्र असत्य कथनों पर प्रस्तुत किया गया है। प्रार्थिया द्वारा धारा-१२५ दं०प्र०सं० का मुकदमा भी परिवार न्यायालय गाजियाबाद में योजित कर रखा है। विपक्षी प्रार्थिया को साथ लेजाने के लिए तैयार है परन्तु स्वयं प्रार्थिया विपक्षी के साथ नहीं रहना चाहती है। अतः प्रार्थना-पत्र निरस्त किये जाने योग्य है।

परिवादिया की और से साक्षी पी.डब्लू -१ के रूप में प्रार्थिया ने स्वयं को परीक्षित कराया है।

विपक्षी की और से बचाव में दो साक्षी परीक्षित कराये गये हैं जिनमें से डी.डब्लू-१ के रूप में स्वयं विपक्षी तथा डी.डब्लू.-२ श्रीमती शिवराज कुमारी को परीक्षित कराया गया है। दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में विपक्षी की ओर से सूची दिनांकित १८-१०-२०१६ से सत्यापित प्रतिलिपि आरोप पत्र मु०अं०्सं० १११/२०१४, छाया प्रति शिकायती पत्र एस.एच.ओ. जगतपुरी, छाया प्रति उपहति आख्या एम.एम.जी. अस्पताल गाजियाबाद दाखिल किये गये हैं तथा सूची दिनांकित ०७.०६.२०१७ से ११ प्रपत्र छाया प्रति दाखिल किये गये है जो छाया प्रति होने के कारण साक्ष्य में ग्राह्म नहीं है।

See also  Moni vs Deepchandra Domestic Violence Judgement

मेरे द्वारा उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण के तर्क विस्तार पूर्वक सुने जा चुके हैं तथा पत्रावली का अवलोकन किया।

प्रस्तुत प्रकरण में प्रार्थिया के द्वारा स्वयं को विपक्षी की पत्नी होने का कथन किया है तथा विपक्षी के द्वारा अन्य परिवारीजन के साथ दहेज की मांग को लेकर प्रताड़ित किये जाने का कथन किया गया है। प्रार्थिया के कथानानुसार उसे कम दहेज लाने के लिए ताना दिया जाता था तथा मारपीट भी की जाती थी। उपरोक्त प्रताड़ना के कारण प्रार्थिया अपने वैवाहिक आवास से अलग रह रही है। वहीं दूसरी ओर विपक्षी के द्वारा किसी भी प्रकार से प्रार्थिया के साथ दुर्व्यवहार किये जाने के तथ्य से इंकार किया गया है।

पूरा जजमेंट पढ़ने के लिए निचे PDF को पढ़े।

Rate this post
Share on:

1 thought on “Suman vs tarun Domestic Violence Judgement”

Leave a comment