Administrative Law in Hindi – What is Administrative Tribunal

दोस्तों, क्या आपको पता है, की प्रशासनिक न्यायाधिकरण क्या होता है? (What is Administrative Tribunal?) और अधिकरण क्या होते हैं? आज के इस आर्टिकल में हम बात करेंगे प्रशासनिक अधिकरण, प्रशासनिक विधि यानी Administrative Law के बारे में। यह एक इम्पोर्टेन्ट टॉपिक है। सामान्य व्यक्तियों को भी इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि यह अधिकरण क्या है?, Tribunal क्या होते हैं?, Tribunal की आवश्यकता क्यों महसूस की गई? Tribunal क्या काम करते हैं? और Tribunal किन किन विषयों के लिए बनाए गए हैं? आर्टिकल आपको शुरू से एन्ड तक पढ़ना होगा क्योंकि ये कानूनी भाषा है।

Administrative Law in Hindi
Administrative Law in Hindi

Administrative Law – प्रशासनिक विधि

जैसा कि हम सभी जानते हैं, की समाज में यदि हम रह रहे हैं, तो आर्थिक मुद्दों पर, सामाजिक मुद्दों पर, राजनैतिक मुद्दों पर आपस में Transactions (लेनदेन) होते हैं। जिन्हें हम समाज में दे रहे हैं, तो सामाजिक लेनदेन होता रहेगा या सामाजिक संवाद होता रहेगा, प्रशासनिक संवाद होता रहेगा। चूँकि संवाद होते है, तो विवाद और मतभेद का होना लाज़मी है और इसी Dispute और Differences को, यानी विवाद और मतभेद को सुलझाने के लिए हमारी राज्य सरकार ने न्याय पालिका की स्थापना की है। विवादों को Solve करना न्यायालय का काम होता है। लेकिन आज के समय हमारे देश में लगभग चार हज़ार करोड़ से अधिक Cases लंबित हो चुके हैं। मतलब बहुत सारे केस Pending है, और इस Pendency की वजह से धीरे धीरे न्यायपालिका पर लोगों की आस्था कम होती जा रही है। और इसलिए लोग न्यायपालिका का एक विकल्प ढूंढ रहे थे। इसी को देखते हुए जो न्यायाधिकरण होते हैं, वो एक प्रकार का न्यायपालिका का विकल्प है।

Tribunal क्या होते हैं?

विशेष तकनीकी और विशेष ज्ञान के मुद्दों के लिए ही Tribunal बनाया गया है। Tribunal एक प्रकार से अर्ध न्याय होता है, मतलब इसमें थोड़ा से प्रशासनिक गुण होते हैं, और थोड़े से न्यायिक गुण होते है। कहने का मतलब इसमें प्रशासन और न्यायलय दोनों का mix up होता है। यानी इसमें Judicial Elements भी मिलते हैं, और Administrative Elements भी मिलते हैं। इसको Cause Judicial Body कहा जा सकता है। इनका काम भी न्याय दिलाना जैसा ही होता है। न्यायलय जिस प्रकार विवाद सुलझाता है, ठीक उसी प्रकार न्यायाधिकरण भी विवादों को सुलझाता है, लेकिन यह विवाद थोड़े से प्रशासनिक Nature के होते हैं। और इनका काम भी अधिकारों का निर्धारण करना होता है। जिस प्रकार से न्यायालय दो पक्षों के बीच में विवादों को सुलझा कर उनमें से किसका अधिकार है, उसको निर्धारित करती है। ठीक उसी प्रकार प्रशासनिक न्यायाधिकरण का भी काम यही होता है, कि दो पक्षकारों के बीच में उन दोनों के अधिकारों का निर्धारण करना। कुछ Tribunal को मैं आपको बताता हूँ।

  • Cyber Tribunal
    जो Technical Matter (तकनीकी मामला) होते हैं, जिसमें विशेष ज्ञान की आवश्यकता होती है। उसके लिए खुद संसद ने Tribunals (अधिकरणों) का गठन करने का ऐलान किया और अनुच्छेद 323a, 323b में यह संवैधानिक मान्यता भी दी गई। अब आप सोच रहे होंगे की ये Technical Matter (तकनीकी मामला) क्या होता है? तकनीकी विषय को थोड़ा हम समझते हैं, जैसे कोई Cyber Offence (साइबर अपराध) होता है, तो Cyber Offence (साइबर अपराध) के लिए Cyber Tribunal बनाया गया है। यानी ऐसा व्यक्ति जो IT (Information Technology) , मोबाइल सूचना, प्रौद्योगिकी में जो पारंगत व्यक्ति है, जिसे उसमे विशेष ज्ञान है। ऐसा व्यक्ति उन मामलों को आसानी से सुलझा पाएगा। तो न्यायपालिका के जो सदस्य है, जैसे न्यायधीश है, उनमें उस विषय पर विशेष ज्ञान की कमी होती है। इसीलिए Cyber Tribunal बनाया गया।
  • Income Tax Tribunal या GST Tribunal
    जो Tax से संबंधित है, जिसको Economic Matters (आर्थिक मामले) में, Taxation Laws (कराधान कानून) में रूचि है। वही व्यक्ति उस मामले का Tribunal का Chairman बनाया जाता है। ताकि उन मामलों को तेज़ी से सुलझाया जा सके।

Tribunal की आवश्यकता क्यों महसूस की गई?

कोर्ट में केसेस की Pendency (लम्बित) बढ़ती जा रही थी। सबसे बड़ी Important बात यह है, कि न्यायालय में केस बहुत ज्यादा है, जिससे लंबी लंबी तारीख मिल रही है, या तारीख पे तारीख मिलती जा रही है, जिससे कि Tribunal की आवश्यकता को बल मिला कि Tribunal होना चाहिए। यानी एक वैकल्पिक व्यवस्था होनी चाहिए। जिससे कोर्ट पर केसेस के बर्डन को कम किया जा सके। जिससे निर्णय में तेजी लायी जा सके। Tribunal में कुछ ऐसे Experts को नियुक्त किया जाए जिनमें उन्हें विशेष ज्ञान और अनुभव है। उन लोगों को उन विषयों के लिए Chairman बनाया जाए। Tribunal Chairman उनको बनाया जाएगा जो ऐसे पारंगत व्यक्ति हैं, जो इन मामलों को सुलझाने में आसानी से अपने विशेष ज्ञान का उपयोग कर सकते हैं।

यदि भारत के संविधान की हम बात करें, तो 42 वां संविधान संशोधन 1976 में Tribunal को संविधानिक मान्यता यानी Constitutional Validity दी गई। और फिर Article 323a, Article 323b Insert (डालना) किये गए।

  • Article 323a
    Article 323a में प्रशासनिक न्यायाधिकरण की बात की गई है। जो प्रशासन के मुद्दे हैं, जैसे पब्लिक सर्वेंट के अपॉइंटमेंट मुद्दे, पब्लिक सर्वेंट के पेंशन मुद्दे, पब्लिक सर्वेंट को पद से हटाना, उनको निलंबित करना, उनको ट्रांसफर करना, बोनस इन सब के बारे में जो भी मामले हैं। यानी प्रशासनिक अधिकारियों की नियुक्ति, स्थानांतरण, पेंशन, निलंबन इसके जो भी Disputes (विवाद) होंगे वह प्रशासनिक न्यायाधिकरण में जाएंगे। इनको CAT (Central Administrative Tribunal) भी कहा जाता है। ये सभी विवाद न्यालय में न जाकर CAT (Central Administrative Tribunal) में जायेंगे।
  • Article 323b
    Article 323b में हमारे संविधान ने संसद को ये शक्ति दी है, कि वो Other Matters के लिए भी Tribunal बना सकते है।

Other Matters कौन कौन से होते हैं?

  • Administrative Tribunals (प्रशासनिक अधिकरण)
  • Income Tax Appellate Tribunal (आयकर अपीलीय अधिकरण)
  • Industrial and Labour Tribunal (औद्योगिक एवं श्रम न्यायाधिकरण)
  • Rent Control Authority
  • GST Council
  • Election Commission
  • Foreign Exchange, Import and Export

अनेक मुद्दे होते हैं, यह Dispute न्यायालय में ना जाकर यह सारे मामले अन्य अधिकरणो में जाते हैं। और इन अधिकरणो में जो एक्सपर्ट लोग हैं, उन्हीं को Chairman बनाया जाता है, और ये लोग इन मामलों को सुलझातें हैं।

FAQs:- (अक्सर Administrative Law में पूछे जाने वाले सवाल) –

प्रश्न:- Tribunal क्या होते हैं?

उत्तर:- विशेष तकनीकी और विशेष ज्ञान के मुद्दों के लिए ही Tribunal बनाया गया है। Tribunal एक प्रकार से अर्ध न्याय होता है, मतलब इसमें थोड़ा से प्रशासनिक गुण होते हैं, और थोड़े से न्यायिक गुण होते है। कहने का मतलब इसमें प्रशासन और न्यायलय दोनों का mix up होता है।

प्रश्न:- Cyber Tribunal क्या होता है?

उत्तर:- कोई Cyber Offence (साइबर अपराध) होता है, तो Cyber Offence (साइबर अपराध) के लिए Cyber Tribunal बनाया गया है।

प्रश्न:- Tribunal की आवश्यकता क्यों महसूस की गई?

उत्तर:- कोर्ट में केसेस की Pendency (लम्बित) बढ़ती जा रही थी। सबसे बड़ी Important बात यह है, कि न्यायालय में केस बहुत ज्यादा है, जिससे लंबी लंबी तारीख मिल रही है, या तारीख पे तारीख मिलती जा रही है, जिससे कि Tribunal की आवश्यकता को बल मिला कि Tribunal होना चाहिए। यानी एक वैकल्पिक व्यवस्था होनी चाहिए।

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About Advocate Ashutosh Chauhan

मेरा नाम Advocate Ashutosh Chauhan हैं, मैं कोर्ट-जजमेंट (courtjudgement) वेबसाईट का Founder & Author हूँ। मुझे लॉ (Law) के क्षेत्र में 10 साल का अनुभव है। इस वेबसाईट को बनाने का मेरा मुख्य उद्देश्य आम लोगो तक कानून की जानकारी आसान भाषा में पहुँचाना है। अधिक पढ़े...