Company Law in Hindi – Company Act 2013 – आसान भाषा में समझे

Company Law in Hindi :- दोस्तों, आप सभी लोगों ने Company Act के बारे में सुना होगा और Company के बारे में भी सुना होगा कि कंपनी क्या है? What is Company? जितनी भी Business Area में काम करने वाली Companies होती है, आज उसके बारे में चर्चा करेंगे और साथ में “कंपनी अधिनियम दो हज़ार तेरह” (Company Act 2013 in Hindi) की भी चर्चा करेंगे। तो इस आर्टिकल में हम समझने वाले हैं Company का क्या Concept है?

Company Law in Hindi
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What is Company?- कंपनी क्या है?

Company एक Business Entity होती है, Company का मतलब एक Business करने वाली संस्था होता है, जिसको हम हिंदी में व्यापारिक संस्था भी कह सकते हैं। यानी Company व्यापारिक संस्था अथवा व्यापारिक संगठन होती है। शुरू शुरू में जब Business प्रारंभ हुआ तो वह व्यापार प्रारंभ में Sole Proprietorship (एकल स्वामित्व) से हुआ था, Sole Proprietorship का मतलब होता है एक व्यक्ति द्वारा पूंजी लगाई गई और उसी व्यक्ति द्वारा समस्त काम किए जाते थे। यानी सारे Profits and Loss जो होते थे वह उसी व्यक्ति के ऊपर होते थे। इसको Sole Proprietorship (एकल स्वामित्व) कहा जाता है। Sole Proprietorship (एकल स्वामित्व) को हम एक छोटा सा उदाहरण देकर समझाते है।

मान लीजिए मोहन नाम के व्यक्ति ने एक जनरल स्टोर ओपन किया। उस जनरल स्टोर में जो भी पूंजी लगाई गई वो सब मोहन के द्वारा लगाई गई। अब उस जनरल स्टोर से जो भी लाभ होगा वो सब मोहन को होगा या उसमें जो भी लोस्स होगा वो भी मोहन को होगा। तो इसको Sole Proprietorship (एकल स्वामित्व) बोलते हैं।

लेकिन धीरे धीरे Business में Changes आया और फिर Partnership (साझेदारी या भागीदारी) चालू हो गयी। जब यही Business दो या दो से अधिक लोग मिलकर करने लगे, दो या दो से अधिक लोगों ने अपना Capital आपस में Divide किया या मान लीजिए Work Divide कर दिया और Profit and Loss भी Share करने लग गए, तो उसको भागीदारी Firm या साझेदारी Firm कहा जाता है। Sole Proprietorship (एकल स्वामित्व) के बाद Business का दूसरा प्रारूप चालू हो गया। यानी Partnership (साझेदारी या भागीदारी) Proprietorship (एकल स्वामित्व) के बाद प्रारंभ हुआ। उसके बाद, कंपनी का चलन शरू हुआ जो अभी वर्तमान में सबसे ज़्यादा उन्नत व्यापार है।

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Company व्यापारिक संस्था है, एक संगठन है। कई लोग मिलकर, किसी Specific उद्देश्य से काम कर रहे हैं। तो वह Company हो जाएगी। जैसे वर्तमान में हम बात करें Reliance Company, TaTa company आदि कंपनी हो गयी इन कंपनी में बड़े बड़े प्रोजेक्ट होते हैं। और इनके प्रोजेक्ट करोड़ों रुपए के होते हैं। वह एक कैपिटल में डिवाइड होते हैं, इस कैपिटल का नाम Share कैपिटल होता है। यानी कंपनी की पूंजी अंशों में विभक्त होती है, और यही अंश लोग परचेस करते हैं। और इन्ही लोगो का कंपनी के ownership में हिस्सा हो जाता, उनकी भी कंपनी में भागीदारी हो जाती है, और ऐसे लोग Share Holder कहलाते हैं। Company की पूंजी को Share Capital चलाती है। यही संगठन व्यापार व्यवसाय करता है तो इसे Company कहा जाता है।

Company Law in Hindi – Company Act 2013 in Hindi

कंपनी में Law का interference (दखल अंदाजी) बहुत ज़्यादा होता है। क्योंकि इसमें लोगो से पूंजी मंगाई जा रही है, लोग मतलब आम जनता से Capital Invest की जाती है। तो आम जनता के हितों की रक्षा करने के लिए, investors की रक्षा करने के लिए Law बनाया गया जिसका नाम कंपनी अधिनियम, 1956 है। लेकिन वर्तमान में Company Act 2013 (कंपनी अधिनियम, 2013) का कानून चल रहा है। कंपनी एक Legal Entity (कानूनी इकाई) होती है, और बिना Legal Entity (कानूनी इकाई) के कंपनी प्रारंभ भी नहीं हो सकती है।

कंपनी कानून (Company Law) की मुख्य विशेषताएँ:

  • कंपनी का पंजीकरण और स्थापना: कंपनी कानून नियमित रूप से कंपनी का पंजीकरण और स्थापना कैसे किया जाता है, उसकी प्रक्रिया को व्यवस्थित करता है।
  • शेयरधारकों के अधिकार और प्रतिबद्धता: कंपनी के शेयरधारकों के अधिकार और उनकी प्रतिबद्धता को संरचित करने के नियमों की व्यावस्था होती है।
  • कंपनी के प्रबंधन और निदेशक मंडल: कंपनी के प्रबंधन और निदेशक मंडल की भूमिका, उनके कर्तव्य, और उनकी जिम्मेदारियों को परिभाषित करता है।
  • कंपनी की वित्तीय प्रक्रियाएँ: कंपनी के वित्तीय संरचना, लेन-देन की प्रक्रियाएँ, और वित्तीय रिपोर्टिंग के नियमों को नियंत्रित करने के लिए नियम और विनियम होते हैं।
  • कंपनी के विभिन्न प्रकार: कंपनी कानून विभिन्न प्रकार की कंपनियों, जैसे कि लिमिटेड कंपनी, पब्लिक कंपनी, और प्राइवेट कंपनी, की पहचान और नियमों को प्रदान करता है।
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कंपनी कुछ लोगों का ग्रुप है जो कि एक Specific देश को लेकर एक पूरा संगठन चलाता है। जैसे आम उदाहरण ले लें, मान लीजिए Reliance Company एक ऐसी Legal Entity (कानूनी इकाई) है, जो Directors, Promoters द्वारा चलाई जा रही है, और उसमें लोगों का पैसा Invest किया हुआ है। कंपनी में Limited Liability (सीमित दायित्व) होती है जोकि बहुत खास है।

Limited Liability – सीमित दायित्व

कंपनी में Limited Liability (सीमित दायित्व) होते है। आपको बता दूँ की Sole Proprietorship (एकल स्वामित्व) और Partnership में Limited Liability नहीं होती, यानी Liability कुछ ज़्यादा होती है। इसको हम आपको उदहारण देकर समझाते है।

  • Sole Proprietorship (एकल स्वामित्व) Liability:-
    किसी व्यक्ति की शॉप में आग लग जाती है, तो पूरी Liability उस व्यक्ति की हो गयी। पूरा नुकसान भी उसी व्यक्ति का होगा। तो इसमें Liability बहुत ज्यादा है।
  • Partnership Firm (साझेदारी फर्म) Liability:-
    अगर किसी Partnership Firm (साझेदारी फर्म) में कुछ Injury होती है, मान लीजिए Loss हो जाता है, तो वो Loss पार्ट में बंट जाता है
    यहां पर Liability कुछ कम हो जाती है।
  • Company Liability:-
    कंपनी में शेयरहोल्डर उतना ही Liabile होता है, जितना कि उसका शेयर है। इसलिए कंपनी की Liability Limited होती है।

कंपनी कानून (Company Law) FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)-

उत्तर:- कंपनी कानून एक विशेष कानूनी शाखा है जो व्यापारिक कंपनियों की संरचना, प्रबंधन, और नियमन को नियंत्रित करने के नियमों को परिभाषित करता है। यह कंपनी के शेयरधारकों, निदेशकों, कर्मचारियों, और समाज के साथी सभी स्तरों के अधिकार और कर्तव्यों को स्पष्ट करता है।

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उत्तर:- कंपनी कानून व्यावासिक दुनिया में नियमितता और व्यवसायिक गतिविधियों को सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है। यह कंपनियों के शेयरधारकों के अधिकारों की सुरक्षा करता है, निदेशकों के कर्तव्य और जिम्मेदारियों को परिभाषित करता है, और वित्तीय प्रक्रियाओं को नियंत्रित करने में मदद करता है।

उत्तर:- कंपनी कानून विभिन्न प्रकार की कंपनियों को शामिल करता है, जैसे कि लिमिटेड कंपनी, पब्लिक कंपनी, और प्राइवेट कंपनी। यहाँ तक कि नियम विभिन्न संरचनाओं, स्तरों, और गतिविधियों के लिए विभिन्न नियम तय कर सकता है।

उत्तर:- कंपनी के शेयरधारक वे व्यक्तियाँ या संगठन होते हैं जिन्होंने कंपनी के शेयरों को खरीदा होता है। ये शेयरधारक कंपनी के मालिक होते हैं और उनका अधिकार होता है कि वे कंपनी के नेतृत्व में भाग लें और लाभों का हिस्सा प्राप्त करें।

उत्तर:- कंपनी के निदेशक कंपनी के प्रबंधन के जिम्मेदार होते हैं। वे कंपनी की नीतियों को तय करते हैं, निर्णय लेते हैं, और कंपनी की सार्वजनिक और निजी गतिविधियों की निगरानी करते हैं।

उत्तर:- कंपनी की वित्तीय प्रक्रियाएँ उसके वित्तीय स्वास्थ्य और लेन-देन को नियंत्रित करने के लिए होती हैं। इसमें वित्तीय प्रतिवेदन, लेन-देन की प्रक्रियाएँ, और निवेश के नियमों की व्यवस्था शामिल होती है।

निष्कर्ष:

कंपनी कानून एक महत्वपूर्ण नियमी संरचना प्रदान करता है जो व्यवसायिक दुनिया को नियमित और संविनयित रूप से चलने में मदद करती है। यह नियम और विनियम शेयरधारकों, निदेशकों, और कंपनी के सभी स्तरों के लिए उचित दिशा-निर्देश प्रदान करते हैं, जो उन्हें व्यवसायिक सफलता की दिशा में आगे बढ़ने में मदद करता है।

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