दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम बात करेंगे, कि अगर किसी भी इंसान को भारत के किसी भी कोर्ट में कोई केस फाइल करना है, तो वह व्यक्ति कैसे किसी के खिलाफ कोर्ट के अंदर केस फाइल कर सकता है? Court Me Case Kaise Kare? ये सब कुछ इस आर्टिकल में आपको जानने को मिलेगा। मेरी कोशिश हर पॉइंट को सिंपल तरीके से समझने की रहेगी।
सबसे पहले ये बताना चाहूंगा की भारत के अंदर केसेस को दो केटेगरी में बाटा गया हैं। पहली केटेगरी सिविल नेचर की होती है। और दूसरी केटेगरी क्रिमिनल नेचर की होती है।
- सिविल केस:-
सिविल नेचर के अंदर वह सारे केसेस आते हैं, जो कि प्रॉपर्टी, मैट्रिमोनियल, मानहानि, चेक बाउंस, कॉपीराइट, किराएदार और मकान मालिक के बीच विवाद, किसी आपसी समझौते में विवाद, सार्वजनिक स्थल भूमि विवाद आदि से जुड़े होते हैं। ये सब सिविल केसेस के अंदर आते है। - क्रिमिनल केस:-
क्रिमिनल नेचर के अंदर वह सारे केसेस आते हैं, जो कि चोरी, हत्या, बलात्कार, अपहरण, मारपीट, जानसे मारने की धमकी, दहेज आदि से जुड़े होते हैं। ये सब क्रिमिनल केसेस के अंदर आते है।
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Court Me Case Kaise Kare? – Court Me Case File Kaise Kare? – कोर्ट में केस फाइल कैसे करे?
अगर किसी व्यक्ति को क्रिमिनल केस दर्ज कराना है, तो सबसे पहले उस व्यक्ति को पास के पुलिस स्टेशन में FIR लिखवाने जाना होगा। (जंहा पर वो क्राइम हुआ है, उसी लोकेशन के पुलिस स्टेशन में जाना होगा।) और उस क्राइम को बताते हुए पुलिस अफसर के द्वारा एक FIR लिखवानी होगी। लेकिन ऐसे में कई सारे लोगों का यह सवाल आता है, कि वह पुलिस स्टेशन जाते हैं, लेकिन फिर भी उनकी FIR नहीं लिखी जाती। ऐसे में कई लोगों का यह मानना होता है, कि पुलिस वाले सामने वाली पार्टी से पैसे ले लेते है, या सामने वाली पार्टी का नेताओ और पुलिस वालो में उठना बैठना है। इसीलिए उनकी FIR दर्ज नहीं की जाती है। अगर आपके साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ है, तो ऐसे में आपके पास C.R.P.C Section 154(3) के अंदर यह राइट है, कि अगर कोई भी पुलिस आपकी FIR दर्ज नहीं करती है, तो आप अपने इलाके के एक SSP को लेटर लिख सकते हैं। और ऐसे में आपके इलाके का SSP खुद इन्वेस्टीगेट करेगा या फिर किसी पुलिस अफसर को बोल देगा।
अगर SSP को लेटर लिखने के बाद भी आपकी FIR दर्ज नहीं की जाती है, तब ऐसे में आपके पास एक ओर राइट है, और वह राइट आपको C.R.P.C Section 156(3) में दिया गया है। आप सीधे अपनी कंप्लेंट को लेकर अपने इलाके के मजिस्ट्रेट के पास जा सकते हैं। उस कंप्लेंट के अंदर ये सभी बाते लिखें, कि आपके साथ क्या क्या हुआ। इसके लिए आपको एक वकील करना चाहिए। फिर मजिस्ट्रेट साहब उस पुलिस थाने को FIR दर्ज करने का आर्डर दे देते है, या सीधे ही कोर्ट में केस फाइल कर लेते है। अगर कोई भी पुलिस अफसर आपकी FIR दर्ज करने से मना कर देता है, तो यह ग़ैरकानूनी माना जाता है। आप उस पुलिस वालें के खिलाफ भी कोर्ट में कंप्लेंट कर सकते है। जिसने आपकी FIR लिखने से मना कर दिया। उनके ऊपर भी इन्क्वारी हो सकती है। क्योंकि न्यालय में सब एक सामान है। न्यालय में ये नहीं देखा जाता की ऑपोसिट पार्टी कौन है। वंहा पर सबको एक सामान देखा जाता है। इस प्रकार आप सीधे कोर्ट में केस फाइल कर सकते है।
FAQs:- (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)
प्रश्न:- क्या बिना वकील के केस लड़ा जा सकता है?
उत्तर:- अपना केस आप खुद लड़ सकते हो। इसके लिए आपको जज साहब से परमिशन लेनी होगी। मेरी राय में अगर आपका क्रिमिनल केस है, तो आपको वकील ही कर लेना चाहिए।
प्रश्न:- मुकदमा कितने दिन तक चलता है?
उत्तर:- ये बताना मुश्किल है, की मुकदमा इतने दिन में खत्म हो जायेगा। क्योंकि कोर्ट में केस बहुत पेंडिंग पड़े हुए है। इसलिए कोर्ट हर मुकदमे में इतना टाइम नहीं दे पाती। ओर ये दोनों पार्टी पर भी डिपेंड करता है, की दोनों पार्टी मुकदमे को कितना तेज़ चलाती है।
प्रश्न:- क्या मैं अपना केस खुद फाइल कर सकता हूं?
उत्तर:- हाँ, आप अपना केस खुद फाइल कर सकते है। ओर आप खुद भी उस केस को लड़ सकते है। लेकिन आपको कानून का ज्ञान अच्छे से होना चाहिए।