2024: Domestic Violence in Hindi – घरेलू हिंसा अधिनियम सिंपल भाषा में जाने

Domestic Violence in Hindi – दोस्तों, आपने अक्सर देखा और सुना होगा की महिलाओं के उप्पर घरेलू हिंसा की जाती है। हमारा भारतीय कानून सबको एक सामान मानता है, चाहे कोई महिला हो, या कोई पुरुष हो। फिर भी महिला के उप्पर ही क्यों अत्याचार किये जाते है। क्या इसके लिए भी कोई कानून बना है? जी हाँ इसके लिए भी भारत में कानून बना है। तो आज के इस आर्टिकल में हम चर्चा करने वाले हैं, Domestic Violence in Hindi, घरेलू हिंसा क्या है?, घरेलु हिंसा का केस कौन और कंहा पर कर सकता है?, घरेलू हिंसा कितने प्रकार की होती है?, Domestic Violence के केस को फाइल करने के तरीके, इसमें बचाव कैसे करे ? और Domestic Violence केस की स्टेज सभी Question के हल इस आर्टिकल में मिलेगे।

Domestic Violence in Hindi
Domestic Violence in Hindi

घरेलू हिंसा (Domestic Violence in Hindi) अधिनियम 2005 क्या है?

जब कोई परिवार का पुरुष महिला के साथ मारपीट या क्रूरता करता है। तो वो घरेलू हिंसा के आधीन आता है, लेकिन ये सच नहीं है सिर्फ मारपीट या क्रूरता ही नहीं, बल्कि ओर भी अत्याचार ऐसे होते है जो आपको साधारण लगते हो, लेकिन वो भी घरेलू हिंसा (Domestic Violence in Hindi) में आते है।

Domestic Violence Act का केस क्रिमिनल केस नहीं है। ये एक सिविल रेमेडी है, उन महिलाओं के लिए, उन लेडीज के लिए जो घरेलू हिंसा का शिकार होती है, यानी कि Domestic Violence का शिकार होती है। लेकिन आज की डेट में Domestic Violence Act का बहुत मिसयूज किया जा रहा है। दोस्तों बहुत सारे लोगों के दिमाग में ये डाउट रहता है, ये डर रहता है, कि Domestic Violence Act में पुलिस हमे अरेस्ट कर सकती है, इसमें हमे सजा भी हो सकती है। यहां मैं आपको बता दूं कि Domestic Violence Act में पुलिस का कोई भी रोल नहीं होता है, और ना ही अरेस्ट किया जाता है। इसलिए Domestic Violence Act में बेल लेने की ज़रूरत नहीं होती है।

हाल में आई NCRB की रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना के दौरान घरेलू हिंसा के मामलों में काफी इजाफा हुआ है, ओर भारत में बहुत से महिलाए इसके बारे में जानती ही नहीं ओर वो घर के अंदर घरेलू हिंसा का शिकार होती रहती है। इनमे से कुछ एसी महिलाए भी है, जो इस कानून को अच्छे से जानती भी है पर घरेलू हिंसा को सहन करती रहती है।  ताकि उनका घर न टूटे पर अत्याचार सहना भी एक अपराध है।

घर में होने वाली हिंसा को घरेलू हिंसा कहते है कोई भी महिला जिसको शारीरिक, मानसिक, लैंगिक, आर्थिक, शाब्दिक या उसकी भावनाओ के साथ खिलवार्ड किया गया हो या उसके साथ गंदे शब्दों का इस्तमाल किया गया हो वो सब घरेलू हिंसा के अंतर्गत आते है।

घरेलू हिंसा (DV Act in Hindi) कितने प्रकार की होती है?

  • शारीरिक: मार-पीट करना, शरीर के किसी अंग को नुकसान पहुंचना, किसी भी प्रकार की शारीरिक चोट पहुंचना।
  • मानसिक:  चरित्र, आचरण पर दोष, अपमानित, लड़का न होने पर प्रताड़ित, नौकरी छोड़ने या करने के लिए दबाव, आत्महत्या का डर देना,घर से बाहर निकाल देना, किसी भी प्रकार की मानसिक चोट पहुंचना।
  • लैंगिक: बलात्कार, जबरदस्ती संबंध बनाना, जबरदस्ती अश्लील सामग्री दिखाना ,अपमानित लैंगिक व्यवहार।
  • आर्थिक:  दहेज़ की मांग, सम्पति की मांग, पत्नी व बच्चे के खर्च के लिए आर्थिक सहायता न देना ,रोजगार न करने देना या मुश्किल पैदा करना ,आय-वेतन आपसे ले लेना, संपत्ति से बेदखल करना किसी भी प्रकार की आर्थिक चोट पहुंचना।
  • शाब्दिक: गाली-गलोच, अपमानित।

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Domestic Violence Act: घरेलु हिंसा का केस कौन और कंहा पर कर सकता है?

घरेलु हिंसा का केस पीड़ित महिला कर सकती है, जिसके ऊपर घरेलु हिंसा हुई हो। घरेलु हिंसा का केस पीड़ित महिला जहां पर परमानेंट रेजिडेंस है (यानी कि अपने शेयर्ड हाउसहोल्ड जहां पर वह रह रही है) , या वह कहीं पर टेम्पररी रह रही है, या फिर जहा पे अपोजिट पार्टी रह रही है, अपोजिट पार्टी बिज़नेस कर रही है। तो वहाँ से भी पीड़ित महिला Domestic Violence का केस कर सकती है। और यदि यह सब चीज़ें नहीं है, तो जहां पर cause of action arise हुआ है यानिकि जहां पर घरेलू हिस्सा हुई है। तो वहां से भी Domestic Violence का केस किया जा सकता है। ज़रूरी नहीं है, कि DV Act केवल एक पत्नी ही कर सकती है, DV Act का केस कोई भी महिला कर सकती है। चाहे वो पत्नी हो, चाहे बेटी हो, बहन हो। यदि उसके साथ घरेलु हिंसा की जा रही है, वो घरेलु हिंसा की शिकार होती है, तो ऐसे में वो DV Act का सहारा ले सकती है।

DV Act in Hindi
DV Act in Hindi

दोस्तों Domestic Violence Act के अंदर महिला मल्टीप्ल रिलीफ ले सकती है, जैसे की प्रोटेक्शन आर्डर, मेंटेनेंस आर्डर, राइट ट्व रेजिडेंस, कस्टडी आर्डर इत्यादि।

Domestic Violence के केस  को फाइल करने के तरीके

Domestic Violence के केस को तीन तरीके से फाइल किया जा सकता है।

  1. पहला तरीका:- पीड़ित महिला प्रोटेक्शन अफसर के पास जाकर कंप्लेंट फाइल कर सकती है। प्रोटेक्शन अफसर कंप्लेंट के बेसिस पर एक रिपोर्ट तैयार करता है। और उसके बाद उस रिपोर्ट को मजिस्ट्रेट, लोकल पुलिस और सेवा प्रदाताओं को सबमिट करते हैं। इस दौरान उस प्रोटेक्शन अफसर की उस पीड़ित महिला के लिए कानूनी सहायता, आश्रय या मेडिकल फैसिलिटीज भी प्रोवाइड करने की ज़िम्मेदारी बनती है। इस रिपोर्ट के बेसिस पर मजिस्ट्रेट Domestic Violence Act को संज्ञान में लेकर कार्रवाई शुरू करते हैं।
  2. दूसरा तरीका:- पीड़ित महिला सेवा प्रदाताओं के पास जाकर कंप्लेंट फाइल कर सकती है। सेवा प्रदाताओं और प्रोटेक्शन अफसर का सैम ही प्रोसेस होता है। सेवा प्रदाताओं भी रिपोर्ट तैयार करके मजिस्ट्रेट, प्रोटेक्शन अफसर देगा। इस रिपोर्ट के बेसिस पर मजिस्ट्रेट Domestic Violence Act को संज्ञान में लेकर कार्रवाई शुरू करते हैं।
  3. तीसरा तरीके:- पीड़ित महिला सीधे कोर्ट में जाकर कंप्लेंट फाइल कर सकती है। ऐसे में महिला Domestic Violence की कंप्लेंट सीधे मजिस्ट्रेट के पास देती हैं। फिर मजिस्ट्रेट Domestic Violence Act को संज्ञान में लेकर कार्रवाई शुरू करते हैं।

आपके खिलाफ झूठी घरेलू हिंसा का मामला दर्ज किया जाता है तो कैसे बचे? (DV Act 2005 in Hindi)

सबसे पहले ये बताना चाहूंगा की इस कानून का उपयोग पुरुष नहीं कर सकते है। ये कानून केबल महिलाओ के लिए बना है ओर काफी बार देखा गया है की पत्नी इस कानून का फायदा भी उठाती है (मै सभी पत्नी की बात नहीं कर रहा हूँ ) वो अपने पति से पैसा ओर उसको हैरेसमेंट करने के लिए झूठी कंप्लेंट दर्ज करा देती है। अक्सर देखा गया है पत्नी 498a , 125 CRPC , Domestic Violence एक साथ लगा देती है। ओर पति का नीचा दिखाने ओर पैसा ऐठने के लिए करती है।


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Domestic Violence Act में बचाव कैसे करे ?

  • सबसे पहले आपके पास जितने भी सबूत हो उसको इकठ्ठा कीजिए जैसे धमकी देने की रिकॉर्डिंग, चैट, ईमेल इत्यादि।
  • पत्नी की कंप्लेंट को ध्यान से पढ़े ओर उसके झूठ को पकडे।
  • आमतौर पर देखा जाता है पत्नी 498a कंप्लेंट भी साथ में दर्ज करती है उस कमप्लेंट को भी ध्यान से पढ़े क्योंकि झूठे केस में झूठ ही होता है।
  • पत्नी दवारा पुलिस के समक्ष बयान या कोर्ट के समक्ष बयान दिए है उन सबको ध्यान से पढ़े कंही न कंही त्रुटि बयान में मिलेगी।
  • आपका मकसद केबल ये ही रहना चाहिए की जज के सामने झूठ लाया जाये।
  • आपको ये ही भी साबित करना होगा की पत्नी अपनी मर्जी से पति का परित्याग किये हुए है।

पर्सनली एक बात बताना चाहूंगा बहुत से पति ऐसे होते है। जिनको कानूनी ज्ञान की कमी होती है ओर वो वकील पर निर्भर होते है जैसा वकील साब बोलते है वैसे ही पति करता रहता है। केस आपका वकील ही लड़ेंगे लेकिन आपको भी ज्ञान होना जरुरी है। ये आपकी लड़ाई है इसको आपसे बेहतर कोई ओर नहीं जानता। इसलिए इंसाफ के लिए आपको भी महेनत करनी होगी। मैंने बहुत से डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के हिंदी में जजमेंट ऐड किये है। आपको उनको जरूर पढ़ना चाहिए ।

Domestic Violence Judgement in hindi (जजमेंट)


Domestic Violence Allahabad High Court के जजमेंट पढ़ने के लिए यंहा क्लिक करे।

Domestic Violence केस की स्टेज (DV Act in Hindi)

दोस्तों मैं आपको Domestic Violence Act (Domestic Violence in Hindi) का कम्पलीट प्रोसीजर बताऊंगा ताकि आपको किसी भी तरह का कोई डाउट ना रहे। और मुझे पूरा यकीन है, कि जो भी आपके इश्यूज होंगे, वो इसको पढ़ने के बाद खत्म हो जाएंगे। Domestic Violence Case के हर स्टेप को, हर प्रोसेस को समझना बहुत ही ज़रूरी है।

  • स्टेज 1:- Domestic Violence केस फाइल होने के बाद अपोजिट पार्टी को समन जारी किया जाता है। अपोजिट पार्टी समन आर्डर को एप्लीकेशन के द्वारा चैलेंज भी कर सकती है या इसकी अपील भी फाइल कर सकती है।
  • स्टेज 2:- समन के बाद अपोजिट पार्टी को मैन पेटिशन और interim एप्लीकेशन का जवाब देने के लिए समय दिया जाता है। साथ ही केस को मेडिएशन में सेटल करने की भी कोशिश जारी रहती है।
  • स्टेज 3:- यदि अंतरिम मेंटेनेंस भी मांगा गया है, तो ऐसे में दोनों पक्षों को अब अपने इनकम एफिडेविट भी सबमिट करने पड़ते हैं। दोस्तों रिप्लाई आने के बाद सबसे पहले अंतरिम एप्लीकेशन को तय किया जाता है, चाहे वो मेंटेनेंस के लिए एप्लीकेशन हो, अंतरिम रेजिडेंस के लिए हो, अंतरिम कस्टडी के लिए हो या प्रोटेक्शन ऑर्डर्स के लिए हो, इनके ऊपर पहली बहस पर आर्डर सुनाया जाता है। ऐसे में जिसके भी खिलाफ आर्डर किया जाता है, वो उस आर्डर की further अपील कर सकते हैं।
  • स्टेज 4:- इसके बाद सबसे पहले कम्प्लेनेंट को मौका दिया जाता है। कम्प्लेनेंट अपनी गवाही के साथ साथ अपने पक्ष के गवाह की गवाही करवाती है। और फिर अपोजिट पार्टी के वकील उन गवाहों से जिरह करते है।
  • स्टेज 5:- कम्प्लेनेंट के सभी गवाही हो जाने के बाद अपोजिट पार्टी को evidence करवाने का मौका दिया जाता है। अपोजिट पार्टी भी अपने अपने गवाहों की गवाही करवाते है। और साथ में कुछ सबूत है तो वो भी कोर्ट में जमा करते है। फिर कम्प्लेनेंट का वकील अपोजिट पार्टी के गवाहों से जिरह करते है।
  • स्टेज 6:- जब दोनों पक्षों की गवाही हो जाती है, तो केस को फाइनल आर्ग्यूमेंट्स में कर दिया जाता है। फाइनल आर्ग्यूमेंट्स के टाइम पर दोनों पक्ष के वकील एविडेंस के बेसिस पर बहस करते हैं।
  • स्टेज 7:- अब स्टेज आती है, जजमेंट की कोर्ट दोनों पक्ष के वकीलों की बहस सुनने के बाद अपना फ़ैसला सुना देती है। इसको हम जजमेंट बोलते है।

जजमेंट में यह मेंशन किया जाता है, कि क्या महिला घरेलू हिंसा को सिद्ध कर पाई है, या नहीं कर पाई है। अगर महिला घरेलू हिंसा को सिद्ध कर पायी है, तो उसको क्या क्या रिलीफ दिया गया है, और क्या क्या रिलीफ उसे नहीं दिया गया है। जो भी पार्टी जजमेंट से सहमत नहीं है। वो इस जजमेंट को तीस दिनों के अंदर अंदर सेशन कोर्ट में further अपील फाइल कर सकता या सकती है।

FAQs:- (अक्सर Domestic Violence Act में पूछे जाने वाले सवाल)

Domestic Violence Act में पुलिस का कोई भी रोल नहीं होता है, और ना ही अरेस्ट किया जाता है।

Domestic Violence Act में पुलिस का कोई भी रोल नहीं होता है, और ना ही अरेस्ट किया जाता है। इसलिए Domestic Violence Act में बेल लेने की ज़रूरत नहीं होती है।

घरेलू हिंसा करना सही नहीं है क्योंकि पति पत्नी के बीच इतनी दूरिया आ जाती है की वो पुरानी बातो को जल्दी से नहीं भूल पाते ओर समाज में उनकी इज़्ज़त भी चली जाती है।

प्रतिवादी द्वारा कोर्ट के संरक्षण आदेश या अंतरिम संरक्षण आदेश का उल्लंघन करना इस अधिनियम के तहत एक अपराध माना जायेगा। इसमें एक वर्ष तक की सजा या जुर्माना लगाया जा सकता है, या दोनों लग सकते है।

शारीरिक, मानसिक, लैंगिक, आर्थिक, शाब्दिक

घरेलू हिंसा (Domestic Violence), 125 CRPC (भरण-पोषण), 498a

निष्कर्ष:

मैंने Domestic Violence in Hindi को सिंपल तरीके से समझाने की कोशिश की है। मेरी ये ही कोशिश है, की जो पुलिस की तैयारी या लॉ के स्टूडेंट है, उनको IPC की जानकारी होनी बहुत जरुरी है। ओर आम आदमी को भी कानून की जानकारी होना बहुत जरुरी है।