आज मैं आपके लिए भारतीय दंड संहिता (IPC Section 26 in Hindi) की धारा 26 की जानकारी लेकर आया हूँ, पिछली पोस्ट में हमने आपको आईपीसी (IPC) की काफी सारी धाराओं के बारे में बताया है। अगर आप उनको पढ़ना चाहते हो तो आप पिछले पोस्ट पढ़ सकते है। अगर आपने वो पोस्ट पढ़ ली है तो, आशा करता हूँ की आपको वो सभी धाराएं समझ में आई होंगी ।
भारतीय दंड संहिता की धारा 26 क्या होती है?
“ कोई व्यक्ति किसी बात के विश्वास करने का कारण रखता है, यह तब कहा जाता है जब वह उस बात के विश्वास करने का पर्याप्त वजह रखता है, अन्यथा नहीं। ”
“ A person is said to have “reason to believe” a thing, if he has sufficient cause to believe that thing but not otherwise. ”
Also Read –IPC Section 24 in Hindi
धारा 26 क्या है?
ऊपर जो डेफिनेशन दी गयी है, वो कानूनी भाषा में दी गयी है, शायद इसको समझने में परेशानी आ रही होगी। इसलिए इसको मैं थोड़ा सिंपल भाषा का प्रयोग करके समझाने की कोशिश करता हूँ। IPC Section 26 को सरल शब्दों में समझाता हूँ ।
इस सेक्शन में “विश्वास करने का कारण” के बारे में बताया गया है। किसी बात पर विश्वास करने का कारण इस सेक्शन में बताया गया है। मान के चलिए कोई आपके पास एक jewelry की दुकान है। ओर कोई आपके पास सोना लेकर आया। जिसकी कीमत मार्किट में एक लाख रुपये है। वो इस सोने को आपको बीस हज़ार रुपये में दे रहा है। ओर बोल रहा है, की मुझे पैसे की ज़रूरत है। एक लाख रुपये का सोना वह बीस हज़ार रुपये में दे रहा है। अब आपके पास “sufficient cause” है। इस बात को मानने का कि वह जो सोना दे रहा है। वह चोरी का हो सकता है। क्योंकि एक लाख रुपये की चीज़ कोई बीस हज़ार रुपये में क्यों देगा। ओर उसके पास कोई रसीद वगैरह भी नहीं है। आप के पास sufficient cause है, sufficient कारण है, “reason to believe” करने का कि वह जो सोना है। वह चोरी का हो सकता है। आपको प्रॉपर पता चल रहा है, कि वह इतने कम पैसे में क्यों दे रहा है। इससे इस बात को बिलीव करने का रीज़न है, कि वह जो सामान बेच रहा है। वह चोरी का हो सकता है। यही इसमें समझाया गया है।