दोस्तों जिस प्रकार भारत में वाहनों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है उसी प्रकार वाहनों द्वारा सड़क हादसे से जुड़े आंकड़े भी तेजी से बढ़ रहे है। कुछ लोग बहुत लापरवाही के साथ वाहन चलाते हैं जिसके कारण अन्य व्यक्ति को चोट लगने का डर बना रहता है।
लापरवाही और गलत तरीके से वाहन चलाना न केवल बड़े हादसे का कारण बन सकता है बल्कि किसी व्यक्ति के द्वारा ऐसा करने पर भारतीय कानून के अंतर्गत सजा भी मिल सकती है। आज के लेख में हम ऐसे ही कानून की धारा के बारे में बात करेंगे और आपको बताएंगे कि भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत आने वाली आईपीसी धारा 279 क्या है? यह धारा कब लागू होती है? इस मामले में सजा और जमानत कैसे मिलती है?
गाड़ी से घूमना और चलाना सभी को पसंद होता है लेकिन एक छोटी सी गलती हमारे लिए मुसीबत का कारण बन सकती है। आज के लेख में हम इसी विषय पर बात करने वाले हैं। अगर आप IPC 279 के बारे में जानना चाहते हैं तो यह लेख आपके लिए ही है, इस धारा के बारे में विस्तार से जानने के लिए इस लेख को पूरा और अंत तक पढ़े।
IPC 279 in Hindi – आईपीसी की धारा 279 क्या है?
आईपीसी की धारा 279 के नियम के अनुसार अगर कोई भी व्यक्ति अपने किसी वाहन को सार्वजनिक मार्ग यानी पब्लिक प्लेस पर बहुत तेजी से चलता है या लापरवाही से चलाता है जिसके कारण दूसरे व्यक्ति को चोट लगने की संभावना बन जाती है। इस प्रकार गलत तरीके से गाड़ी चलाने वाले व्यक्ति पर IPC Section 279 के तहत मुकदमा दर्ज कर कारवाई की जाती है।
लापरवाही और गलत तरीके से वाहन चलाना किसी भी बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकता है। इसके लिए भारतीय संविधान द्वारा कानून बनाया गया है। इस कानून के द्वारा ऐसे लोगों को सजा दी जाती है जो लापरवाई से वाहन चलाते हैं। इस तरह के कार्य से किसी भी व्यक्ति की जान भी जा सकती है इसलिए हमेशा वाहन चलाते समय लापरवाही करने से बचना चाहिए।
आईपीसी की धारा 279 कब लगती है?
- इस धारा का प्रयोग तब किया जाता है जब कोई व्यक्ति भीड़ वाली जगह पर बहुत तेजी से वाहन चल रहा हो।
- वाहन चलाते समय ध्यान कहीं और रखना जिसकी वजह से गाड़ी से किसी अन्य को चोट लगने के हालात पैदा हो जाए।
- वाहन चलाते समय फोन का इस्तेमाल करना जिससे कोई एक्सीडेंट या दुर्घटना हो सकती हो।
- इसके अलावा अन्य कोई भी ऐसा कारण हो सकता है जिसकी वजह से आपके वाहन के कारण किसी दूसरे व्यक्ति को चोट लगती है तब आप पर इस धारा 279 के अंतर्गत कार्रवाई की जाएगी।
IPC Section 279 अपराध का उदाहरण-
एक दिन रोहन अपने घर से कहीं पैदल जा रहा था, उस वक्त अचानक रास्ते में एक कार बहुत तेजी से उसके पास से गुजरती है जिसके कारण रोहन को हल्की सी साइड लग जाती है और वह गिर जाता है। रोहन उस गाड़ी की नंबर प्लेट देखकर नंबर याद कर लेता है। इसके बाद वह पुलिस स्टेशन में जाकर लापरवाही से गाड़ी चला रहे व्यक्ति पर शिकायत दर्ज करवाता है। पुलिस रोहन की शिकायत पर उस व्यक्ति के खिलाफ लापरवाही से गाड़ी चलाने के जुर्म में IPC 279 के तहत शिकायत दर्ज करती है।
धारा 279 में सजा का प्रावधान क्या है? (What is the punishment provision of section 279?)
भारतीय दंड संहिता की धारा 279 में सजा के प्रावधान अनुसार अगर कोई भी व्यक्ति पब्लिक जगह पर तेजी से या लापरवाही से गाड़ी चलाता है और दोषी पाया जाता है, तो ऐसे में वो व्यक्ति IPC 279 के अंतर्गत अपराधी माना जाएगा और उसे 6 महीने तक की जेल या जुर्माने से दंडित किया जाएगा। याफिर दोनों से दंडित किया जायेगा। अगर हम इसमें जुर्माने की बात करे तो जुर्माना एक हजार रुपए तक का हो सकता है।
अपराध | सजा | संज्ञेय | जमानत | विचारणीय |
---|---|---|---|---|
लोक मार्ग पर उतावलेपन से वाहन चलाना या हांकना | 6 महीने का कारावास या जुर्माना या दोनों | इसे संज्ञेय अपराध के श्रेणी में रखा गया है। | जमानतीय | किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय |
धारा 279 मे जमानत का क्या प्रावधान है? (What is the provision of bail in section 279?)
IPC की धारा 279 अंतर्गत यह बताया गया है कि गलत तरीके से या लापरवाही से गाड़ी चलाना संज्ञेय अपराध है। लेकिन धारा 279 के मामले का यह अपराध गंभीर होने के बावजूद यह एक जमानती अपराध (Bailable Offence) माना गया है। इसमें आरोपी को जमानत मिल जाती है। लेकिन यह अपराध समझौता के लायक नहीं माना गया है, इसका मतलब ऐसे अपराध में समझौता नहीं किया जा सकता है। इस तरह के मामलों में बेल पाने के लिए आपको एक वकील की जरूरत पड़ेगी जो आपको सही तरीके से जमानत दिलाने में आपकी पूरी मदद कर सकेगा।
इस अपराध में जमानत आसानी से मिल जाती है लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि कोई भी व्यक्ति गलत तरीके से या लापरवाही से गाड़ी चलाएं क्योंकि इस कारण किसी और की जान भी जा सकती है। जल्दी जमानत मिलने के कारण कोई भी व्यक्ति कानून का सही ढंग से पालन नहीं करेगा तो यह गलत बात है। इसलिए हमेशा यातायात करते वक्त हमें कानून का पालन करना चाहिए। अगर आपकी लापरवाही से किसी व्यक्ति की जान जाती है तो आपकी सजा को और भी बढ़ाया जा सकता है।
धारा 279 में अपना बचाव कैसे करें? (How to defend yourself under section 279?)
धारा 279 से बचने के लिए कुछ सावधानियां के बारे में जानते हैं:-
- कोई भी गाड़ी या वाहन चलाते समय सड़क हादसों से बचने के लिए सभी कानून का पालन करें।
- गाड़ी चलाते वक्त कभी भी मोबाइल फोन का इस्तेमाल न करें।
- नशे की हालत में कभी भी गाड़ी नहीं चलानी चाहिए और इससे बचे। नशे में गाड़ी चलाना किसी बड़े हादसे का कारण बन सकती है। और कानून इसकी इजाजत भी नहीं देता।
- कभी भी भीड़ वाली जगह पर तेजी से गाड़ी ना चलाएं।
- कभी आपकी गाड़ी से किसी व्यक्ति को चोट लग जाती है तो उस स्थिति में उस व्यक्ति की मदद करें। उसे अस्पताल लेकर जाएं वंहा उसका इलाज करवाये।
- अगर किसी कारणवश आपके ऊपर धारा 279 मुकदमा दर्ज हो जाता है तो सबसे पहले एक वकील की सहायता ले जो आपको जमानत दिलाने में मदद करेगा।
- इस प्रकार के मामले में समझौता नहीं हो पता है लेकिन अगर आप पीड़ित व्यक्ति का समय पर इलाज करवाते हैं और अपनी गलती को मान लेते हैं तो आप इस मामले से बच सकते हैं।
FAQs:- (अक्सर आईपीसी की धारा 279 में पूछे जाने वाले सवाल)–
आईपीसी की धारा 279 एक कानूनी धारा है जो वाहन द्वारा आपराधिक क्षति के लिए सजा को परिभाषित करती है।
धारा 279 के अंतर्गत, वाहन द्वारा आपराधिक क्षति की गतिविधियाँ आती हैं, जैसे कि गैरसावधान ड्राइविंग या ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करना।
धारा 279 के उल्लंघन पर आमतौर पर सजा होती है, जो अपराध की गंभीरता पर निर्भर करती है। इसमें 6 महीने की जेल या जुर्माना हो सकता है, जो कानूनी प्रक्रिया के अनुसार निर्धारित की जाती है।
हां, आप धारा 279 के तहत अपराधी के खिलाफ कानूनी कदम उठा सकते हैं, जब वाहन द्वारा किसी को आपराधिक क्षति पहुंचाई जाती है और आपके ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन होता है।
हां, धारा 279 का उल्लंघन गंभीर आपराधिक क्षति के साथ हो सकता है, जब वाहन द्वारा दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से किसी को चोट पहुंचाई जाती है, और इसके पीछे गैरसावधानी या ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन होता है।
निष्कर्ष:
दोस्तों सड़क दुर्घटना काफी तेजी से बढ़ रही है, और यह एक अपराधी कार्य है जिसके कारण किसी को जेल का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए कभी भी किसी को लापरवाही या गलत तरीके से गाड़ी नहीं चलाना चाहिए। इस लेख में हमने आपको IPC 279 in Hindi से जुड़ी सभी जानकारी के बारे में विस्तार से बताया है। उम्मीद करता हूं कि इस लेख से आपको अच्छी जानकारी मिली होगी। आईपीसी की धारा 279 से जुड़े कोई भी सवाल आपके मन में है तो कमेंट बॉक्स में आप हमसे पूछ सकते हैं। इस लेख को पढ़ने के लिए धन्यवाद।
मेरा नाम आशुतोष चौहान हैं, मैं कोर्ट-जजमेंट ब्लॉग वेबसाईट का Founder & Author हूँ। मैं पोस्ट ग्रेजुएट हूँ। मैं एक Professional blogger भी हूँ। मुझे लॉ से संबंदित आर्टिकल लिखना पसंद है।