आज मैं आपके लिए भारतीय दंड संहिता (IPC Section 32 in Hindi) की धारा 32 की जानकारी लेकर आया हूँ, पिछली पोस्ट में हमने आपको आईपीसी (IPC) की काफी सारी धाराओं के बारे में बताया है। अगर आप उनको पढ़ना चाहते हो तो आप पिछले पोस्ट पढ़ सकते है। अगर आपने वो पोस्ट पढ़ ली है तो, आशा करता हूँ की आपको वो सभी धाराएं समझ में आई होंगी । अब बात करते है, भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 32 क्या होती है?
भारतीय दंड संहिता की धारा 32 क्या होती है?
कार्यों का निर्देश करने वाले शब्दों के अन्तर्गत अवैध लोप आता है :- “जब तक कि संदर्भ से तत्प्रतिकूल आशय प्रतीत न हो, इस संहिता के हर भाग में किए गए कार्यों को दर्शाने वाले शब्दों का विस्तार अवैध लोपों पर भी है। ”
Words referring to acts include illegal omissions :- “In every part of this Code, except where a contrary intention appears from the context, words which refer to acts done extend also to illegal omissions.”
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धारा 32 क्या है?
ऊपर जो डेफिनेशन दी गयी है, वो कानूनी भाषा में दी गयी है, शायद इसको समझने में परेशानी आ रही होगी। इसलिए इसको मैं थोड़ा सिंपल भाषा का प्रयोग करके समझाने की कोशिश करता हूँ। IPC Section 32 को सरल शब्दों में समझाता हूँ ।
अगर कोई व्यक्ति कानूनी रूप से किसी काम को करने के लिए बाध्य है। जैसे कि कोई पुलिस अफसर है। उसके पास कोई FIR लिखवाने आता है। वह पुलिस अफसर कानूनी रूप से bound है। उसको FIR लिखनी ही पड़ेगी। लेकिन अगर वह मना कर देता है। फिर वह Illegal कर रहा है। अगर वही पुलिस अफसर रिश्वत लेकर किसी बे-कसूर इंसान पर FIR लिख देता है। जिसका कोई कसूर नहीं है। और पुलिस अफसर को पता है, कि ये आदमी बे-कसूर है। वह सिर्फ रिश्वत लेकर उस इंसान को अरेस्ट कर लेता है। लकिन उसने यहां पर Illegal नहीं किया। उसने सिर्फ कार्य किया है। अगर पुलिस अफसर ने FIR लिखने से मना कर दिया तो वह direct Illegal होगा। लेकिन पुलिस अफसर ने कोई ऐसा कार्य किया जो, कि गैरकानूनी है। जैसे किसी बे-कसूर आदमी पर FIR लिख दी। उसमें Illegal तो नहीं है, लेकिन उसने कोई ऐसा कार्य कर दिया जो कि Illegal है। तब उसको automatically Illegal माना जाएगा। वह Illegal उस सेक्शन के अंदर automatically जुड़ जाएगा। IPC Section 32 में यही बताया गया है।