IPC 311 in Hindi – भारतीय दंड संहिता मे बहुत सी धारा बनी हुई है। जो अलग-अलग अपराध के लिए बनाई गयी है। आज हम आप लोगो को एक अलग तरह की धारा के बारे मे बताने जा रहे है। जो ठगी करने वाले अपराधियों को दंड देने के लिए बनाई गयी है। इसे भारतीय दंड संहिता में 311 के अंतर्गत रखा गया है।
आपको इस आर्टिकल मे हम IPC Dhara 311 को हिंदी मे बताने वाले है। तो इसलिए आप हमारे साथ इस आर्टिकल मे पुरा अंत तक बने रहे और जाने की, IPC Dhara 311 कब लगती है, इसमें जमानत का प्रावधान, इसमें सजा कितनी होती है और इसमें वकील की क्या भूमिका है?
![IPC 311 in Hindi – ठगी के लिए दंड की धारा 311 में सजा, जमानत और बचाव 1 IPC Section 311 punishment bail in Hindi](https://courtjudgement.in/wp-content/uploads/2024/01/IPC_311_in_Hindi.webp)
भारतीय दंड संहिता की धारा 311 के अनुसार-
दण्ड- “जो कोई ठग होगा, वह आजीवन कारावास से दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।”
दोस्तों, हम इसको सिंपल भाषा में बताने का प्रयास करते है।
IPC 311 क्या है और ये कब लगती है?
IPC की धारा 311 के अनुसार यह ऐसे अपराधियों पर लगायी जाती है। जो ठगी का काम करते है। और दुसरो को अपनी ठगी का शिकार बनाते है। तो ऐसे अपराधियों को धारा 311 के तहत दण्डित किया जाता है। इसमें केबल दंड के बारे में बताया गया है लेकिन इसकी डेफिनेशन IPC 310 में दी गयी है की ठग किसको माना जायेगा।
IPC 311 में सजा कितनी होती है?
भारतीय दंड संहिता की धारा 311 मे अपराध की पुष्टि हो जाने के बाद इस अपराध मे अपराधी को आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है। और इसके साथ आर्थिक जुर्माना भी लगा के दण्डित करने का प्रावधान है।
अपराध | सजा | संज्ञेय | जमानत | विचारणीय |
---|---|---|---|---|
ठगी करने पर दंड | आजीवन कारावास और साथ में आर्थिक दण्ड | यह धारा संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आती है। | यह गैर-जमानतीय अपराध है | यह सत्र न्यायालय के द्वारा विचारणीय है। |
IPC Section 311 मे जमानत का प्रावधान क्या है?
IPC 311 मे जमानत की प्रक्रिया बहुत जटिल है। क्योकी यह धारा संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आती है। साथ में यह गैर-जमानतीय धारा भी है। यह सत्र न्यायालय के द्वारा विचारणीय है। इस तरह के अपराध मे जमानत के लिए योग्य वकील की जरूरत होगी जो अपराधी की जमानत के लिए अपील करेंगे। और जमानत दिलवाने मे मदद करेंगे।
इसमें वकील की भूमिका क्या है?
IPC धारा 311 मे वकील की अहम भूमिका होती है। क्योकी यह ठगी का मामला है।
- धारा 311 मे वकील पीड़ित व्यक्ति के लिए सबूत जुटाएगा और पीड़ित व्यक्ति को इंसाफ दिलवाने का काम करेगा।
- धारा 311 मे वकील अपराधी व्यक्ति के लिए जमानत दिलवाने और धारा 311 मे अपराधी को कानूनी सलाह देने का काम करेगा।
इसलिए धारा 311 मे वकील की जरूरत पीड़ित और अपराधी दोनो के लिए जरूरी है।
संबधित सवाल जवाब – FAQs
उत्तर: IPC Section 311 भारतीय दण्ड संहिता की एक धारा है जिसमें ठगी करने पर दंड देने का प्रावधान है।
उत्तर: IPC Section 311 उन व्यक्तियों को दंडित कर सकती है जो ठगी करने में शामिल होते हैं, अर्थात धोखाधड़ी या फिर अनैतिक तरीके से धन को हासिल करने का प्रयास करते हैं।
उत्तर: इस धारा में “ठगी” का मतलब है अनैतिक तरीके से किसी को धोखा देकर धन हासिल करने का प्रयास करना मतलब किसी को ठगने की कोशिश करना।
उत्तर: IPC Section 311 के अनुसार, “ठगी” को साबित करने के लिए आपको उसके अवैध और धोखाधड़ीपूर्ण तरीके को साबित करना होगा, जो धन हासिल करने के लिए उपयोग किया गया है।
उत्तर: इस धारा के तहत ठगी का दंड अभियुक्त को आजीवन कारावास और जुर्माने के रूप में हो सकता है, जो कानूनी प्रक्रिया के अनुसार निर्धारित किया जाता है।
उत्तर: इस धारा के तहत ठगी में शामिल होने वाली कुछ आपराधिक क्रियाएं शामिल हो सकती हैं जैसे कि धोखाधड़ी, जालसाजी, अनैतिक तरीके से किसी को ठगना आदि।
उत्तर: ठगी का मामला दर्ज करने के लिए आपको स्थानीय पुलिस स्टेशन या न्यायालय में याचिका दर्ज करनी होगी।
उत्तर: ठगी के मामले में साकारात्मक सबूत प्रस्तुत करने के लिए आप जानकारी, दस्तावेज, गवाहों के बयान, आदि प्रस्तुत कर सकते हैं जो ठगी के आरोपी को साबित करने में मदद कर सकते हैं।
उत्तर: किसी को ठगी के आरोप में गिरफ्तार कराने के लिए आपको स्थानीय पुलिस स्टेशन पर रिपोर्ट करनी होगी और फिर कानूनी प्रक्रिया के अनुसार पुलिस आरोपी व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकती है।
उत्तर: नहीं, ऐसे अपराधों में समझौता नहीं किया जा सकता है।
उत्तर: ऐसे अपराध की सुनवाई सत्र न्यायालय के द्वारा की जा सकती है।
हमने इस आर्टिकल मे IPC धारा 311 क्या है (What is IPC 311 in Hindi) के बारे मे बहुत ही आसान भाषा में बताया है। हमे उम्मीद है की इस धारा के बारे मे यह जानकारी आप को समझ आ गयी होगी। यह धारा ठगी जैसे अपराध करने वाले व्यक्ति को सजा देने का काम करती है।
यह लेख आपको कैसा लगा। हमे कमेंट मे जरूर बताये। इसको हमारे साथ पुरा अंत तक पढ़ने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यावाद।
मेरा नाम Advocate Ashutosh Chauhan हैं, मैं कोर्ट-जजमेंट (courtjudgement) वेबसाईट का Founder & Author हूँ। मुझे लॉ (Law) के क्षेत्र में 10 साल का अनुभव है। इस वेबसाईट को बनाने का मेरा मुख्य उद्देश्य आम लोगो तक कानून की जानकारी आसान भाषा में पहुँचाना है। अधिक पढ़े…