नि:शुल्क कानूनी सहायता (Legal Aid in Hindi):- दोस्तों जिन लोगो के खिलाफ कोई कानूनी कार्यवाही हो जाती है, लेकिन उनके पास इतने पैसे नहीं होते हैं, कि वे उस कानूनी कार्यवाही को लड़ सके। जैसे वकील की फीस और कोर्ट के अन्य खर्चे को बहन कर सकें। कभी ऐसी सिचुएशन भी आ जाती है, की किसी गरीब व्यक्ति को सिविल या क्रिमिनल केस फाइल करना ज़रूरी है। लेकिन उसके पास इतने साधन नहीं है, कि वो कोर्ट की फीस, वकील की फीस और मुकदमे के अन्य खर्चे बहन कर पाए। तो क्या ऐसे में उस व्यक्ति को बिना न्याय के ही रहने दिया जाएगा? या फिर ऐसी कोई व्यवस्था नहीं की गई है, कि ऐसे लोगों को भी न्याय मिल सके। जो वकील की फीस और मुकदमे के अन्य खर्चो को बहन नहीं कर सकते हैं। आज के इस आर्टिकल में हम Legal Aid in Hindi (नि:शुल्क कानूनी सहायता) पर बात करेंगे।
Legal Aid in Hindi – नि:शुल्क कानूनी सहायता
दोस्तों भारत का संविधान यह कहता है, कि हर व्यक्ति को न्याय मिले, कोई भी व्यक्ति न्याय से वंचित ना रहे। इसके लिए कानून में प्रावधान किए गए हैं। उन्नीस सौ सत्तासी (1987) में सेवा प्राधिकरण नियम बनाया गया। जिसका मुख्य उदेश्ये गरीब व्यक्तियों और ज़रूरतमंद व्यक्तियों को मुफ्त में कानूनी सलाह या सहायता देने का हैं। इस अधिनियम में सेवा प्रदान करने के लिए तीन स्तर बनाए गए हैं।
- राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण
- राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण
- जिला विधिक सेवा प्राधिकरण
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राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, राज्य स्तर पर राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण और जिला स्तर पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण हर स्तर पर कुछ अधिवक्ता की नियुक्ति की जाती है। और इन अधिवक्ता के द्वारा गरीब या अन्य व्यक्तियों को जो सहायता प्रदान की जाती है, उनकी फीस का भुगतान सरकार द्वारा किया जाता है।
मुफ्त में कानूनी सहायता प्राप्त करने का अधिकार किस किस को होता है?
- महिलाएं और बच्चे।
- अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के सदस्य।
- औद्योगिक श्रमिक।
- बड़ी आपदाओं, हिंसा, बाढ़, सूखे, भूकंप और औद्योगिक आपदाओं के शिकार लोग।
- विकलांग व्यक्ति।
- हिरासरत में रखे गए लोग।
- ऐसे व्यक्ति जिनकी वार्षिक आय कम है।
- मानव तस्करी के शिकार या बेगार में संलग्न लोग।
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मुफ्त में कानूनी सहायता प्राप्त करने के व्यक्ति को क्या करना होगा?
सबसे पहले उस व्यक्ति को कोर्ट के अंदर संबंधित प्राधिकरण में जाना होता है। और वहां से एक फॉर्म लेना होता है, फिर उस फॉर्म को भर कर उसके साथ एफिडेविट लगाकर प्राधिकरण में जमा करवाना होता है। प्राधिकरण के द्वारा उसके फॉर्म में भरी हुई जानकारी की जांच की जाती है, यदि जांच में वह व्यक्ति सही पाया जाता है, तो उसके लिए एक अधिवक्ता की नियुक्ति की जाती है। उस अधिवक्ता के द्वारा उस व्यक्ति के केस को लड़ने के लिए वो सारे काम किए जायेंगे जो एक सामान्य अधिवक्ता करता है। फिर उस व्यक्ति को कोई भी फीस अधिवक्ता को नहीं देनी होती है। बल्कि उस अधिवक्ता की फ़ीस का भुगतान सरकार के द्वारा किया जाता है।
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Free Legal Aid in Hindi – मुफ्त कानूनी सहायता हिंदी में
इसके अलावा यदि किसी मामले में किसी अभियुक्त को कोर्ट के सामने लाया जाता है, और वह अभियुक्त कोर्ट के सामने ये जाहिर करता है, कि मेरे पास अपना कोई अधिवक्ता नहीं है, और मेरे पास इतने साधन भी नहीं है, कि मैं किसी अधिवक्ता को नियुक्त कर सकू। तब ऐसे में जज साहब भी सेवा प्राधिकरण के सचिव को उस अभियुक्त की सहायता प्रदान करने के लिए वकील उपलब्ध करने के लिए लिख सकते है। फिर उस अभियुक्त को वकील सेवा प्राधिकरण अधिनियम के अंतर्गत उपलब्ध करवा दिया जाता है।
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कोर्ट के दुबारा कुछ ऐसे व्यक्तियों को मुफ्त में सहायता देने के लिए पात्र नहीं माना गया है, जिन पर मान हानि के लिए मुकदमा किया गया हो, या जो कोर्ट की अवमानना के लिए दोषी हो, या फिर कोई ऐसा व्यक्ति जिस पर सरकार के द्वारा किसी नियम को तोड़ने के लिए या कानून को भंग करने के लिए फाइन लगाया गया हो। ऐसे व्यक्तियों को मुफ्त में कानूनी सहायता नहीं मिलती है।
आशा करता हूँ, मेरे दुबारा नि:शुल्क कानूनी सहायता (Legal Aid in Hindi) की दी हुई जानकारी आपको पसंद आयी होगी।
FAQs:- (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)
इसके लिए आपको विधिक सेवा प्राधिकरण विभाग में जाकर एक फॉर्म लेकर उसको भरना होगा। और उसके साथ एक एफिडेविट लगाकर प्राधिकरण में जमा करवाना होता है।
उन्नीस सौ सत्तासी (1987) में सेवा प्राधिकरण नियम बनाया गया। जिसका मुख्य उदेश्ये गरीब व्यक्तियों और ज़रूरतमंद व्यक्तियों को मुफ्त में कानूनी सलाह या सहायता देने का हैं।
हाँ, अगर आप इनमे से एक हो-
- महिलाएं और बच्चे।
- अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के सदस्य।
- औद्योगिक श्रमिक।
- बड़ी आपदाओं, हिंसा, बाढ़, सूखे, भूकंप और औद्योगिक आपदाओं के शिकार लोग।
- विकलांग व्यक्ति।
- हिरासरत में रखे गए लोग।
- ऐसे व्यक्ति जिनकी वार्षिक आय कम है।
- मानव तस्करी के शिकार या बेगार में संलग्न लोग।
निष्कर्ष:
मैंने “नि:शुल्क कानूनी सहायता (Legal Aid in Hindi)” के बारे में बताया है। अगर आपकी कोई भी क्वेरी या वेबसाइट पर अपलोड हुए जजमेंट को PDF में चाहते है, तो आप हमसे ईमेल के दुबारा संपर्क कर सकते है। आपको Contact पेज पर Email ID ओर Contact फॉर्म मिलेगा आप कांटेक्ट फॉर्म भी Fill करके हमसे बात कर सकते है।
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मेरा नाम आशुतोष चौहान हैं, मैं कोर्ट-जजमेंट ब्लॉग वेबसाईट का Founder & Author हूँ। मैं पोस्ट ग्रेजुएट हूँ। मैं एक Professional blogger भी हूँ। मुझे लॉ से संबंदित आर्टिकल लिखना पसंद है।