दोस्तों आज मैं आपके लिए एक आर्टिकल लेकर आया हूँ। जिसमे मैं आपको Suo Moto Cognizance in Hindi (स्वतः संज्ञान क्या है?) के बारे में जानकारी दूंगा। मेरा प्रयास Suo Moto Cognizance (स्वतः संज्ञान) को अत्यंत आसान भाषा में समझने का रहेगा। उम्मीद करता हूँ, इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद आप सभी को Suo Moto Cognizance (स्वतः संज्ञान) में कोई शंका नहीं रह जाएगी। इसके लिए मैं आपको उदाहरण भी दूंगा जिससे आप इसे अच्छे से समझेंगे।
Suo Moto in Hindi – स्वतः संज्ञान क्या है?
Suo Moto लैटिन भाषा का शब्द है, इसको हिंदी में स्वतः संज्ञान बोला जाता है। जब कोर्ट को किसी मीडिया रिपोर्ट या किसी तीसरे व्यक्ति के द्वारा यह सूचना मिलती है, कि किसी व्यक्ति के अधिकारों का उल्लंघन हुआ है। तब कोर्ट वहां पर Suo Moto (स्वतः संज्ञान) लेती है। मान के चलिए, किसी व्यक्ति के अधिकारों का उल्लंघन हुआ। ओर उसकी तरफ से या किसी ने भी कोर्ट में इसके खिलाफ कोई पेटिशन दायर नहीं की, लेकिन न्यूज़ चैनल पर वो न्यूज़ ट्रेंडिंग में चल रही है। न्यूज़ के जरिए कोर्ट को इसके बारे में पता चलता है, तब ऐसे में कोर्ट Suo Moto (स्वतः संज्ञान) ले सकती है। यानी के कोर्ट द्वारा किसी मामले में खुद से संज्ञान लेना Suo Moto (स्वतः संज्ञान) कहा जाता है।
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Suo Motu Cognizance in Hindi
आर्टिकल 32, आर्टिकल 226 में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में PIL फाइल करने के प्रावधानों के बारे में बात करते हैं। और इन्हीं आर्टिकल्स की पावर्स ने सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट की पावर्स को ओर मजबूत किया है। और इन्हीं पावर्स को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट Suo Moto (स्वतः संज्ञान) लेती हैं। इसको लेने के पीछे सबसे बड़ा तर्क यह है, कि इससे उस व्यक्ति को भी न्याय मिलता है। जो कोर्ट तक पहुंचने में सक्षम नहीं है। अब कोर्ट Suo Moto (स्वतः संज्ञान) कई मामलों में ले सकती हैं। जैसे कंटेम्प्ट ऑफ़ कोर्ट के मामले में कोर्ट Suo Moto (स्वतः संज्ञान) ले सकती हैं, किसी पुराने केस को reopen करने के लिए कोर्ट Suo Moto (स्वतः संज्ञान) ले सकती है, या फिर किसी नए केस में इन्वेस्टीगेशन आर्डर करने के लिए भी कोर्ट Suo Moto (स्वतः संज्ञान) लेती हैं। ऐसे कई मामले हैं।
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भारत में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जहां पर कोर्ट ने किसी मीडिया रिपोर्ट या किसी लेटर के बेसिस पर कोर्ट ने Suo Moto (स्वतः संज्ञान) लिए है। भारतीय जनता को यह एक उम्मीद है, कि बड़े पैमाने पर जनता के साथ हुए गलत व्यवहार को Suo Moto (स्वतः संज्ञान) द्वारा सही किया जा सकता है। जनता को न्याय मिल सकता है।
Suo Motu Cognizance के उदाहरण
हाथरस केस तो आप सभी लोगो ने सुना ओर देखा होगा। हाथरस केस में Suo Moto (स्वतः संज्ञान) लेते हुए हाई कोर्ट की लखनऊ खंड पीठ ने कहा कि, यह मामला सार्वजनिक हित से है। इसमें जांच की जाए, कि क्या मृतक (पीड़िता) ओर उसके परिवार वालो के मौलिक अधिकारों का हनन हुआ है? क्या राज्य के अधिकारियो ने, सही ढंग से कार्य न करके उनके मोलिक अधिकारों का उल्लंघन किया है?
प्रदीप गांधी बनाम स्टेट ऑफ़ महाराष्ट्र 2020 के केस में सुप्रीम कोर्ट ने फिर से इस बात को दोहराया था, कि एक मृत व्यक्ति एक सभ्य और गरिमा के साथ अंतिम संस्कार का अधिकारी है। इस प्रकार आज हमने Suo Moto Cognizance in Hindi (स्वतः संज्ञान क्या है?) के बारे में बताया है।
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आशा करता हूँ, मेरे दुबारा Suo Motu Cognizance क्या है? (Suo Moto in Hindi) की दी हुई जानकारी आपको पसंद आयी होगी।
FAQs:- (अक्सर Suo Moto (स्वतः संज्ञान) में पूछे जाने वाले सवाल)
Suo Moto लैटिन भाषा का शब्द है, इसको हिंदी में स्वतः संज्ञान बोला जाता है। जब कोर्ट को किसी मीडिया रिपोर्ट या किसी तीसरे व्यक्ति के द्वारा यह सूचना मिलती है, कि किसी व्यक्ति के अधिकारों का उल्लंघन हुआ है। तब कोर्ट वहां पर Suo Moto (स्वतः संज्ञान) लेती है।
जब कोर्ट किसी भी केस पर खुद से हस्तक्षेप करती है। यानी के कोर्ट किसी केस में स्वतः संज्ञान लेती है।
हाँ, सुप्रीम कोर्ट ओर हाई कोर्ट के पास Suo Moto (स्वतः संज्ञान) लेने का अधिकार है।
निष्कर्ष:
मैंने “Suo Motu Cognizance क्या है? (Suo Moto in Hindi)” के बारे में बताया है। अगर आपकी कोई भी क्वेरी या वेबसाइट पर अपलोड हुए जजमेंट को PDF में चाहते है, तो आप हमसे ईमेल के दुबारा संपर्क कर सकते है। आपको Contact पेज पर Email ID ओर Contact फॉर्म मिलेगा आप कांटेक्ट फॉर्म भी Fill करके हमसे बात कर सकते है।
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मेरा नाम आशुतोष चौहान हैं, मैं कोर्ट-जजमेंट ब्लॉग वेबसाईट का Founder & Author हूँ। मैं पोस्ट ग्रेजुएट हूँ। मैं एक Professional blogger भी हूँ। मुझे लॉ से संबंदित आर्टिकल लिखना पसंद है।