रिट याचिका क्या है? – Writ Petition in Hindi – रिट याचिका के प्रकार – उदहारण के साथ

दोस्तों, आपने रिट याचिका (writ petition) के बारे में काफी सुना होगा। और आप यह भी जानते होंगे, कि हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट को किसी मैटर में रिट (writ) जारी करने की पावर होती है। इस आर्टिकल में हम रिट याचिका क्या है? इसका मतलब क्या है? यह कब जारी की जाती है, और कब नहीं? और यह कितने प्रकार की होती है? आज के इस आर्टिकल में हम रिट याचिका हिंदी में (writ petition in hindi) के बारे में बात करेंगे।

writ petition in hindi
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रिट याचिका क्या है? – इसका मतलब क्या है? – writ petition in hindi

रिट याचिका (writ petition) का मतलब ऐसे लिखित आदेश से है, जो हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट दुबारा, किसी सरकार को, या स्टेट को, या स्टेट की डेफिनिशन में आने वाले किसी अथॉरिटी को, या लोवर कोर्ट को जारी करती है। हमारे कोंस्टीटूशन के आर्टिकल 32 में सुप्रीम कोर्ट को रिट (writ) जारी करने का पावर होता है। ऐसे ही हाई कोर्ट्स को आर्टिकल 226 में रिट (writ) जारी करने का पावर होता है।

रिट (writ) जारी क्यों और कब की जा सकती है?

इसको जानने से पहले, हमे हमारे अधिकार को जानना होगा। हमारे राइट्स यानी अधिकार दो प्रकार के होते हैं।

  • विधिक अधिकार (Legal Rights):- के बारे में सेंट्रल गवर्नमेंट और स्टेट गवर्नमेंट ने बहुत सारे कानून बना रखे हैं। जिनको हर भारतीय नागरिक फॉलो करता है।
  • संवैधानिक अधिकार (Constitutional Rights):- भारतीय संविधान के आर्टिकल 12 से 35 में दिए हुए हैं। विधिक अधिकार (Legal Rights) के प्रोटेक्शन के लिए सरकार समय-समय पर कानून बनाती रहती है। हमारे किसी भी विधिक अधिकार (Legal Rights) का हनन होने पर हम कोर्ट जा सकते हैं। इसको मैं उदहारण देकर समझाता हूँ। जैसे- A ने B को एक लाख रुपये उधार दिए है, अब B वह रुपये A को वापस नहीं दे रहा है। ऐसे में A के पास उधार दिए गए रुपए को वसूल करने का विधिक अधिकार (Legal Rights) है। जिसके लिए A कोर्ट में वसूली का दावा कर सकता हैं। इसी तरह से जो अधिकार हमें constitution से मिले हैं, उनको संवैधानिक अधिकार (Constitutional Rights) कहते हैं। जो अधिकार हमे constitution से मिले हैं, उन अधिकारों को प्रोटेक्ट करने की गारंटी भी constitution ही देता है।

जब भी हमारे संवैधानिक अधिकार (Constitutional Rights) का उल्लंघन (violation) होता है। तब हम हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका (writ petition) फाइल कर सकते हैं। अब बात आती है, की हमे रिट याचिका (writ petition) फाइल करने के लिए हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में से कंहा जाना चाहिए? इसमें मैं बताना चाहूंगा, की जहां तक हो सके पहले हमें हाई कोर्ट में ही रिट याचिका (writ petition) फाइल करनी चाहिए। यदि वंहा से राहत (relief) ना मिले, तभी सुप्रीम कोर्ट जाना चाहिए।

रिट याचिका (writ petition) कितने प्रकार की होती है?

  1. बन्दी प्रत्यक्षीकरण रिट (Habeas Corpus writ)
  2. परमादेश रिट (Mandamus writ)
  3. प्रतिषेध रिट (Prohibition writ)
  4. उत्प्रेषण रिट (Certiorari writ)
  5. अधिकार पृच्छा रिट (Quo-Warranto writ)

बन्दी प्रत्यक्षीकरण रिट (Habeas Corpus writ)

बन्दी प्रत्यक्षीकरण रिट (Habeas Corpus writ) का मतलब है, की बंदी प्रत्यक्षीकरण या किसी व्यक्ति के शरीर को पेश करने के लिए आदेश देना। इसके अंतर्गत हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट को पावर है, कि यदि किसी व्यक्ति को किसी अधिकारी ने गलत प्रकार से कैद करके यानी कि बंदी बना कर रखा है। उस व्यक्ति को पेश करने के लिए आदेश दिया जा सकता है।

परमादेश रिट (Mandamus writ)

परमादेश रिट (Mandamus writ) तब जारी की जाती है, जब कोई पब्लिक अफसर अपने कर्तव्य का पालन करने से इंकार करें और जिसके लिए अन्य कोई लीगल रेमेडी अवेलेबल ना हो। तब हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट उस पब्लिक अफसर को वह कार्य करने के लिए आदेश देते हैं, और रिट (writ) जारी कर सकते हैं।

प्रतिषेध रिट (Prohibition writ)

जब किसी पब्लिक अफसर को, सरकार को, या लोवर जुडिशरी को कोई काम करने से रोकने का आदेश जारी करना हो तो हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट writ of prohibition जारी कर सकता है।

उत्प्रेषण रिट (Certiorari writ)

इसके अंतर्गत हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट को यह अधिकार होता है, कि वह किसी भी सरकार या लोवर जुडिशरी से उनका रिकॉर्ड मंगवा कर उसको एनालाइज कर सकता है।

अधिकार पृच्छा रिट (Quo-Warranto writ)

इसके अंतर्गत सुप्रीम कोर्ट किसी भी पब्लिक अफसर या सरकार को यह पूछ सकती है, कि उनको कोई पर्टिकुलर काम करने का अधिकार किस प्रकार प्राप्त है। यह रिट (writ) तब जारी की जाती है, जब कोई पब्लिक अफसर अपने पद का दुरुपयोग करते हुए कोई ऐसा काम करता है, जिसे करने का अधिकार उसको ना हो

मैंने ऊपर पांचों रिट (writ) के बारे में बताया हैं, जिनको हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के द्वारा ज़रूरत के अनुसार जारी किया जा सकता है। लेकिन हर मैटर में रिट (writ) फाइल नहीं की जा सकती। क्योंकि यह प्रिंसिपल भी है, कि अगर आपके साथ कुछ गलत हुआ है, और उसके लिए आपको कानून में कोई रेमेडी दे रखी है। तब आपको लोवर कोर्ट में ही वह रेमेडी प्राप्त करने के लिए जाना चाहिए। मतलब जहां अल्टरनेटिव लीगल रेमेडी अवेलेबल है, तो आप सीधे रिट (writ) फाइल नहीं कर सकते। रिट (writ) केवल उन मैटर्स में ही फाइल की जा सकेगी जहां कोई और लीगल रेमेडी अवेलेबल ना हो।

आशा करता हूँ, मेरे दुबारा रिट याचिका क्या है?, writ petition in hindi, रिट याचिका (writ petition) कितने प्रकार की होती है? की दी हुई जानकारी आपको पसंद आयी होगी।

FAQs:- (अक्सर रिट याचिका (writ petition) में पूछे जाने वाले सवाल)

प्रश्न:- रिट याचिका क्या होती है?

उत्तर:- रिट याचिका (writ petition) का मतलब ऐसे लिखित आदेश से है, जो हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट दुबारा, किसी सरकार को, या स्टेट को, या स्टेट की डेफिनिशन में आने वाले किसी अथॉरिटी को, या लोवर कोर्ट को जारी करती है।

प्रश्न:- रिट याचिका कितने प्रकार के होती हैं?

उत्तर:- रिट याचिका पाँच प्रकार की होती है।

  1. बन्दी प्रत्यक्षीकरण रिट (Habeas Corpus writ)
  2. परमादेश रिट (Mandamus writ)
  3. प्रतिषेध रिट (Prohibition writ)
  4. उत्प्रेषण रिट (Certiorari writ)
  5. अधिकार पृच्छा रिट (Quo-Warranto writ)

प्रश्न:- क्या सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका दायर की जा सकती है?

उत्तर:- हाँ, याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट दोनों में से किसी में भी रिट याचिका दायर कर सकते है।

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About Advocate Ashutosh Chauhan

मेरा नाम Advocate Ashutosh Chauhan हैं, मैं कोर्ट-जजमेंट (courtjudgement) वेबसाईट का Founder & Author हूँ। मुझे लॉ (Law) के क्षेत्र में 10 साल का अनुभव है। इस वेबसाईट को बनाने का मेरा मुख्य उद्देश्य आम लोगो तक कानून की जानकारी आसान भाषा में पहुँचाना है। अधिक पढ़े...