दोस्तों, आज के समय में अपराधिक गतिविधियों में बहुत बढ़ोतरी हुई है, जिसके चलते देश के सभी नागरिक को आत्मरक्षा में बचाव के बारे में जानकारी होना जरूरी है। भारतीय दंड संहिता की धारा 97 को आत्मरक्षा करने के लिए हीं बनाया गया है, ताकि विपरीत परिस्थितियों में या अचानक हमला होने पर कोई भी नागरिक अपना बचाव कर सके।
हालांकि नागरिक किस तरह से अपनी आत्म रक्षा कर सकते हैं, इसके बारे में धारा 97 में नियम व शर्तों का भी उल्लेख है। जिसको बहुत कम लोगों को ही पता है, लेकिन आप इस आर्टिकल को पढ़कर धारा 97 के बारे मे सभी जानकारी जान जाएंगे। जैसे कि, धारा 97 क्या है?, यह कब लगती है?, इसमें बचाव क्या है? और साथ में आप धारा 97 को उदाहरण सहित जानेंगे। तो इसलिए आप लोग इस आर्टिकल में पूरा अंत तक बन रहे और आत्म रक्षा के बारे में पूरी जानकारी जाने।
धारा 97 क्या है? – What is IPC 97 in Hindi?
भारतीय दंड संहिता की धारा 97 में आत्मरक्षा के बारे में बताया गया है। बहुत बार ऐसा भी होता है, कि अपराधी का मकसद लूटपाट करना या किसी को चोटिल करना होता है। अब आप ऐसे में अपनी आत्म रक्षा कैसे कर सकते हैं? इसके बारे में धारा 97 में बताया गया है।
भारतीय दंड संहिता की धारा 97 के अनुसार आप अपने या किसी करीबी को बचाने के लिए हमलावर के ऊपर अपनी आत्मरक्षा करने के उद्देश्य से हमला कर सकते हैं। इसके लिए आपके ऊपर किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई नहीं होगी। लेकिन ये आपको प्रूफ करना होगा की ये सब मैंने अपनी आत्मरक्षा के लिए किया है।
IPC 97 का उदहारण
राधा नाम की महिला अकेले मार्केट से अपने घर आ रही थी और राधा जिस रास्ते से अपने घर आ रही थी वह रास्ता बिल्कुल सुनसान था। उस रास्ते पर अपराधी गतिविधियां भी होती रहती थी।
राधा जब कुछ आगे बढ़ती है, तो सामने से दो लड़के बाइक से राधा के सामने आकर रुकते है, तभी उनमे से एक लड़के ने राधा से गले की चेन उतारने को कहा जो चैन बहुत कीमती थी।
राधा ने चैन देने से मना किया तब वह लड़का राधा से मारपीट करने लगा। राधा जोर से चिल्लाने लगी। राधा के चिल्लाने की आवाज खेत में काम कर रहे सुनील को सुनाई दी।
सुनील तुरंत चिल्लाने की आवाज जिस तरफ से आई उस तरफ दौड़ पड़ा और देखा दो लड़के मिलकर एक महिला को पीट रहे हैं। इसके बाद सुनील ने महिला का बचाव करते हुए दोनों लड़कों पर हमला कर दिया और महिला को बचा लिया सुनील ने धारा 97 के अनुसार शरीर या किसी निजी संपत्ति के प्रतिरक्षा करते हुए राधा को बचाया।
महिला के द्वारा पुलिस को सुचना दी गयी सुचना मिलते ही पुलिस वहां पहुंच गई और दोनों लड़कों को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस दुवारा सुनील को महिला का बचाव करने के लिए धन्यवाद दिया गया।
धारा 97 में बताए गए आत्मरक्षा के लिए बचाव तथा नियम व शर्तें क्या है?
भारतीय दंड संहिता की धारा 97 के अनुसार अगर कोई व्यक्ति आत्मरक्षा करने मे किसी व्यक्ति को चोटिल या यंहा तक की जान से भी मार देता है, तो उसके खिलाफ किसी भी प्रकार की कानूनी कारवाई नही होगी। लेकिन इसके लिए कोर्ट मे उस व्यक्ति को प्रूफ करना होगा कि उसने आत्मरक्षा करने के उद्देश्य से ऐसा किया है।
- अगर आपके ऊपर अचानक हमला हो गया और आपके पास पुलिस को बुलाने का समय नहीं है तब आप अपनी आत्म रक्षा करने के लिए हमलावरों के ऊपर हमला कर सकते हैं।
- अगर कोई व्यक्ति आपको मारने की धमकी देता है, तो आप अपने बचाव के लिए पुलिस में उसके खिलाफ शिकायत कर सकते हैं।
- अगर आपके ऊपर हमला होने की संभावना है और आपके पास पुलिस बुलाने का भी समय है। तब अगर आप पहले हमला करने की कोशिश करते हैं, तो आपके ऊपर भी कानूनी कार्रवाई हो सकती है। इसलिए कानून को कभी अपने हाथ मैं ना ले और धारा 97 मैं बताए गए आत्मरक्षा के नियम व शर्तों को ध्यान में रखें।
धारा 97 लगने पर क्या सजा मिलती है?
भारतीय दंड संहिता की धारा 97 में आत्मरक्षा के बारे में बताया गया है, और इस धारा को बनाने का असली मकसद यह है, कि अगर अचानक किसी व्यक्ति के ऊपर जानलेवा हमला हो जाता है। तब वह व्यक्ति अपने बचाव के लिए हमलावरों को चोटिल कर सकता है या उसको जान से भी मार सकता है। लेकिन आत्मरक्षा करने के मकसद से ही उस व्यक्ति को मारा गया है। इस बात की पुष्टि कोर्ट में आत्मरक्षा करने वाले व्यक्ति को करनी होगी। अगर व्यक्ति कोर्ट में इस बात की पुष्टि नहीं कर पाता तो उसको भारतीय दंड संहिता की धारा 97 का गलत इस्तेमाल करने के लिए और उसने कैसा अपराध किया है उसके हिसाब से उस व्यक्ति को सजा मिलेगी।
धारा 97 में वकील की भूमिका क्यों जरुरी है?
किसी भी तरह की कानूनी धारा लगने पर वकील ही आपका मार्गदर्शन कर सकता है। क्योंकि सभी लोगों को कानून के बारे में पूरी जानकारी नहीं होती है। धारा 97 में अपना बचाव करते हुए हमलावरों पर हमला करने के बाद इसकी पूरी पुष्टि कोर्ट में करनी होती है और अच्छा वकील आपको मार्गदर्शन तथा आपके केस को लड़कर आपका बचाव कर सकता है। धारा 97 में वकील की अहम भूमिका है इसलिए वकील को दरकिनार नही किया जा सकता है।
निष्कर्ष-
इस आर्टिकल में IPC 97 in Hindi के बारे मे आप लोगो ने जाना। इस धारा को आत्मरक्षा करने के लिए बनाया गया है। धारा 97 के बारे मे आप लोगो ने पूरी जानकारी विस्तार से जानी है। हमे उमीद है की “खुद की आत्मरक्षा कैसे करें” इसके बारे में जानके आपको बहुत ही अच्छा लगा होगा।
हमने भारतीय दंड संहिता की तमाम धाराओं के बारे में इस https://courtjudgement.in/ वेबसाइट में लिखा है, आप और भी धारा के बारे में पूरी विस्तार से जानकारी जान सकते हैं।
मेरा नाम आशुतोष चौहान हैं, मैं कोर्ट-जजमेंट ब्लॉग वेबसाईट का Founder & Author हूँ। मैं पोस्ट ग्रेजुएट हूँ। मैं एक Professional blogger भी हूँ। मुझे लॉ से संबंदित आर्टिकल लिखना पसंद है।