भारतीय न्याय संहिता 44 क्या है? – Bharatiya Nyaya Sanhita 44 in Hindi & English

Bharatiya Nyaya Sanhita 44 in Hindi – BNS 44 in Hindi घातक हमले के विरुद्ध प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार, जबकि निर्दोष व्यक्ति को अपहानि होने की जोखिम है- जिस हमले से मृत्यु की आशंका युक्तियुक्त रूप से कारित होती है, उसके विरुद्ध प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार का प्रयोग करने में यदि प्रतिरक्षक ऐसी स्थिति में … अधिक पढ़े…

भारतीय न्याय संहिता 43 क्या है? – Bharatiya Nyaya Sanhita 43 in Hindi & English

Bharatiya Nyaya Sanhita 43 in Hindi – BNS 43 in Hindi सम्पति की प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार का प्रारंभ और बना रहना- सम्पत्ति की प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार,- (क) तब प्रारंभ होता है, जब सम्पत्ति के संकट की युक्तियुक्त आशंका प्रारंभ होती है। (ख) संपत्ति की प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार, चोरी के विरुद्ध अपराधी के … अधिक पढ़े…

भारतीय न्याय संहिता 42 क्या है? – Bharatiya Nyaya Sanhita 42 in Hindi & English

Bharatiya Nyaya Sanhita 42 in Hindi – BNS 42 in Hindi ऐसे अधिकार का विस्तार मृत्यु से भिन्न कोई अपहानि कारित करने तक का कब होता है- यदि वह अपराध, जिसके किए जाने या किए जाने के प्रयत्न से प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार के प्रयोग का अवसर आता है, ऐसी चोरी, रिष्टि या आपराधिक अतिचार … अधिक पढ़े…

भारतीय न्याय संहिता 41 क्या है? – Bharatiya Nyaya Sanhita 41 in Hindi & English

Bharatiya Nyaya Sanhita 41 in Hindi – BNS 41 in Hindi कब संपत्ति की प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार का विस्तार मृत्यु कारित करने तक का होता है- संपत्ति की प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार का विस्तार, धारा 37 में वर्णित निर्बन्धनों के अध्यधीन दोषकर्ता की मृत्यु या अन्य अपहानि स्वेच्छया कारित करने तक का है, यदि … अधिक पढ़े…

भारतीय न्याय संहिता 40 क्या है? – Bharatiya Nyaya Sanhita 40 in Hindi & English

Bharatiya Nyaya Sanhita 40 in Hindi – BNS 40 in Hindi शरीर की प्राइवेट प्रतिरक्षा अधिकार का प्रारंभ और बना रहना- शरीर की प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार उसी क्षण प्रारंभ हो जाता है, जब अपराध करने के प्रयत्न या धमकी से शरीर के संकट की युक्तियुक्त आशंका पैदा होती है, चाहे वह अपराध किया न … अधिक पढ़े…

भारतीय न्याय संहिता 39 क्या है? – Bharatiya Nyaya Sanhita 39 in Hindi & English

Bharatiya Nyaya Sanhita 39 in Hindi – BNS 39 in Hindi कब ऐसे अधिकार का विस्तार मृत्यु से भिन्न कोई अपहानि कारित करने तक का होता है- यदि अपराध पूर्वगामी धारा 38 में प्रगणित भातियों में से किसी भांति का नहीं है, तो शरीर की प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार का विस्तार हमलावर की मृत्यु स्वेच्छया … अधिक पढ़े…

भारतीय न्याय संहिता 38 क्या है? – Bharatiya Nyaya Sanhita 38 in Hindi & English

Bharatiya Nyaya Sanhita 38 in Hindi – BNS 38 in Hindi शरीर की प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार का विस्तार मृत्यु कारित करने पर कब होता है- शरीर की प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार का विस्तार, पूर्ववर्ती अंतिम धारा 37 में वर्णित निर्बन्धनों के अधीन रहते हुए, हमलावर की स्वेच्छया मृत्यु कारित करने या कोई अन्य अपहानि … अधिक पढ़े…

भारतीय न्याय संहिता 37 क्या है? – Bharatiya Nyaya Sanhita 37 in Hindi & English

Bharatiya Nyaya Sanhita 37 in Hindi – BNS 37 in Hindi कार्य, जिनके विरुद्ध प्राइवेट प्रतिरक्षा का कोई अधिकार नहीं है- (1) उस कार्य के विरुद्ध प्राइवेट प्रतिरक्षा का कोई अधिकार नहीं है.- (क) यदि कोई कार्य, जिससे मृत्यु या घोर उपहति की आशंका युक्तियुक्त रूप से कारित नहीं होती, सद्भावपूर्वक अपने पदाभास में कार्य … अधिक पढ़े…

भारतीय न्याय संहिता 36 क्या है? – Bharatiya Nyaya Sanhita 36 in Hindi & English

Bharatiya Nyaya Sanhita 36 in Hindi – BNS 36 in Hindi ऐसे व्यक्ति के कार्य के विरुद्ध प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार जो मानसिक रूप से रुग्ण हो- जब कोई कार्य, जो अन्यथा कोई अपराध होता, उस कार्य को करने वाले व्यक्ति के बालकपन, समझ की परिपक्वता के अभाव, मानसिक रूप से रुग्ण या मतता के … अधिक पढ़े…

भारतीय न्याय संहिता 35 क्या है? – Bharatiya Nyaya Sanhita 35 in Hindi & English

Bharatiya Nyaya Sanhita 35 in Hindi – BNS 35 in Hindi शरीर तथा संपति की प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार- धारा 40 में अंतर्विष्ट निबन्धनों के अध्यधीन, हर व्यक्ति को अधिकार है कि, वह- (क) मानव शरीर पर प्रभाव डालने वाले किसी अपराध के विरुद्ध अपने शरीर और किसी अन्य व्यक्ति के शरीर की प्रतिरक्षा करे; … अधिक पढ़े…